Followers

Saturday, December 17, 2011

मूली


हरा  दुपट्टा  ,  गोरी   काया
सबका दिल है  इस पर आया.
ना सखि जूही, ना सखि जूली
नाम गँवइहा है  मिस – मूली.

नन्हीं नटखट  ,बड़ी चरपरी
लेकिन होती, बहुत गुणभरी.
है सुडौल और छरहरी काया
उसने इसका  राज बताया.

मूली- नीबू  रस  पी जाओ
मोटापे  को   दूर  भगाओ.
रस मिश्रण चेहरे पे लगाओ
और कांतिमय चेहरा पाओ.

मूली का रस सिर में लगाना
लीख - जुँओं से छुट्टी  पाना.
जो  मूली का रस  पी जाता
मूत्र सम्बंधी नहीं रोग सताता.

कोई   याद   करे  हरजाई
और तुम्हें गर हिचकी आई.
मित्र जरा भी  मत घबराना
मूली के  पत्तों को चबाना.

मूली के  पत्ते  मत फेंको
लवन विटामिन भरे अनेको
सेंधा- नमक लगाकर खायें
मुख-दुर्गंध को  दूर भगायें.

मूली में प्रोटीन, कैल्शियम
गंधक ,आयोडीन, सोडियम
लौह तत्व, विटामिन बी,सी
गुण इसके कह गये मनीषी.

पतली वात,पित्त,कफ नाशक
मोटी मूली है  त्रिदोष कारक.
विटामिन का है खजाना
पतली- चरपरी  मूली खाना.

इसे सलाद के  रूप में खायें
या फिर इसकी सब्जी बनायें
मूली की  भाजी है  रुचिकर
मूली का रस अति श्रेयस्कर.

गरमागरम मूली के पराठे
शीत ऋतु में मन को भाते.
बहुत  चमत्कारी है मूली
मत इसको कहना मामूली.

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )
विजय नगर , जबलपुर ( मध्य प्रदेश )

27 comments:

  1. Arun ji, Mooli mujhe bahut pasand hai! Apki ye rachna bhi behad pasand aayi! isliye apko badhaaii!

    ReplyDelete
  2. हरा दुपट्टा , गोरी काया
    सबका दिल है इस पर आया.
    ना सखि जूही, ना सखि जूली
    नाम गँवइहा है मिस – मूली.
    किस खेत की मूली है तू,याद रख मामूली है तू ?मूली पुराण को नए आयाम देती सुरुचि पूर्ण पोस्ट .ज़ौन्दिस(Hepatitis,पीलिया ) भैया दूर भगाएं ,मूली का अर्क पी जाएं .

    ReplyDelete
  3. गुणकारी मूली से उपजी कविता सुन्दर है

    ReplyDelete
  4. Vaah Arun Ji ... Sardiyon mein mooli ke paraathe ka apna hi maza hai ... Aur yahaan to aapne mooli ke itne saare gun bata diye ... Lajawab chal raha hai ye sabji gaan ...

    ReplyDelete
  5. औषधि का खज़ाना ... और मूली के परांठे खाना ... बहुत बढ़िया

    ReplyDelete
  6. मूली सचमुच एक वरदान
    सलाद सब्जी की यह जान


    प्रभावी गीत.
    सादर बधाई

    ReplyDelete
  7. मूली तो गुणों की खान है ....
    अपनी रचना के माध्यम से आपने बहुत ही उपयोगी जानकारी दे दी है ...आभार

    ReplyDelete
  8. कमाल का लिखते हैं आप!!
    मूली पर इतनी सारगर्भित कविता हो सकती है, यह आज ही पता चला।
    आपकी इस तरह की कविताओं को पहले भी पढ़ चुका हूं। इन्हें तो बच्चों के सिलेबस में. कोर्स में होना चाहिए।

    ReplyDelete
  9. @ मनोज कुमार has left a new comment on your post "मूली":

    कमाल का लिखते हैं आप!!
    मूली पर इतनी सारगर्भित कविता हो सकती है, यह आज ही पता चला।
    आपकी इस तरह की कविताओं को पहले भी पढ़ चुका हूं। इन्हें तो बच्चों के सिलेबस में. कोर्स में होना चाहिए।



    Posted by मनोज कुमार to अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ) at December 17, 2011 8:09 PM

    ReplyDelete
  10. जानकारी भरी सुन्दर कविता...आभार|

    ReplyDelete
  11. आह मूली, वाह मूली.... बड़ी सुंदर कविता

    ReplyDelete
  12. वाह ...जवाब नहीं....
    बेहद रोचक कविता ....और जानकारियाँ तो है ही...एक पंथ दो काज..

    ReplyDelete
  13. वाह अरुण जी,कविताये तो बहुत पढ़ी पर ऐसी नहीं पढ़ी ,ये तो कुछ ऐसे हुआ के आम के आम गुठलियों के दाम ...बधाई.... कितनी आसानी से मुली की इंतनी सारी उपयोगिता समझा दी आप ने

    ReplyDelete
  14. जानकारी भरी सुन्दर कविता. कमाल.

    ReplyDelete
  15. बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने मूली पर ! मुझे मूली के पराठे बेहद पसंद है! में कल ही नाश्ते में बनाऊँगी !
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

    ReplyDelete
  16. आजकल शब्ज़ियों की ही बहार है जी!
    आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा आज दिनांक 19-12-2011 को सोमवारीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

    ReplyDelete
  17. मूली का बहुत सुन्दर वर्णन किया है |
    आज की रचना के लिए बधाई |
    आशा

    ReplyDelete
  18. बहुत चमत्कारी है मूली
    मत इसको कहना मामूली.

    वाक़ई मूली गुणकारी है.सुन्दर प्रस्तुति.

    ReplyDelete
  19. वाह।
    क्‍या बात है....
    मूली के भाग्‍य में क्‍या बेहतर रचना आई है....
    मूली के गुण बताने के लिए आभार.....

    ReplyDelete
  20. vah nigam ji , mooli pr is tarah se likhana vakai ak sundar abhivykti lgi .... badhai . agli bar papeete pr intjar hai

    ReplyDelete
  21. 'पहेली' और 'कह-मुकरी' से प्रेरित यह काव्यात्मिक प्रस्तुति बहुत सुंदर है। बधाई।

    ReplyDelete
  22. मूली इसको मत समझो मामूली,काव्य मय सुंदर गाथा,अच्छी प्रस्तुति..

    नये पोस्ट की चंद लाइनें पेश है.....

    पूजा में मंत्र का, साधुओं में संत का,
    आज के जनतंत्र का, कहानी में अन्त का,
    शिक्षा में संस्थान का, कलयुग में विज्ञानं का
    बनावटी शान का, मेड इन जापान का,

    पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे

    ReplyDelete
  23. mooli ki mahima nirali, chaahe parathe bana kar khaao ya fir achaar. bahut rochak lekhan, badhai.

    ReplyDelete