Followers

Tuesday, November 15, 2011

अरुण अभी भी वक़्त है........

पंचतत्व निर्मित काया, अवयवों में मिल जाय
फिर क्यों न इन तत्वों को,रखा सुरक्षित जाय.

वृक्ष न काटो भाईयों , वन जीवन का मूल
इन बिन सारी सृष्टि ही , रेगीस्तानी धूल.

दूषित जल से किस तरह, जीव बुझाए प्यास
जल की रक्षा के लिए , करिए सभी प्रयास.

मान नहीं कीजे अगर , मृदा बाँझ हो जाय
नादानी में ही कहीं , सब कुछ ना खो जाय.

मत जहरीले धूम्र को  ,  तू  वायु में  डार
बिन वायु के किस तरह, बजें श्वाँस के तार.

अनुशासित जीवन जीयें  प्रकृति के अनुकूल
अरुण अभी भी वक़्त है , चलो सुधारें भूल.

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )
विजय नगर , जबलपुर ( मध्य प्रदेश )

18 comments:

  1. जिंदगी का सच बता दिया है आपने तो, बहुत ही अच्छे शब्द,

    ReplyDelete
  2. सुन्दर सन्देश देते हुए बेहतरीन दोहे ...

    ReplyDelete
  3. सुन्दर दोहे आद अरुण भाई.....
    सादर बधाई...

    “झिलमिल है रंगीन है, दोहों का यह बाग
    प्रकृति की रक्षा करें, प्रकृति बोले जाग”
    सादर..

    ReplyDelete
  4. bahut sundar prerna dete hue dohe.aabhar

    ReplyDelete
  5. मत जहरीले धूम्र को , तू वायु में डार
    बिन वायु के किस तरह, बजें श्वाँस के तार... waah

    ReplyDelete
  6. प्रभावशाली रचना.....

    ReplyDelete
  7. Soulful n thoughtful ...
    AApki tereh kavyamaya tareef karna nahi aata.. isliye bas itna hi keh payi ye padh k :)

    ReplyDelete
  8. प्रभावशाली सन्देश देते दोहे बधाई

    ReplyDelete
  9. सटीक सन्देश देते प्रभावशाली दोहे ... अच्छी प्रस्तुति

    ReplyDelete
  10. अनुशासित जीवन जीयें प्रकृति के अनुकूल
    अरुण अभी भी वक़्त है , चलो सुधारें भूल.

    सभी दोहे बहुत अच्छे लगे सर!

    सादर

    ReplyDelete
  11. बहुत ही सारगर्भित व प्रभावी दोहे,आभार !

    निश्चित ही सटीक व्यंग्य और सार्थक सन्देश !

    लोकतंत्र के चौथे खम्बे पर अपने विचारों से अवगत कराएँ
    औचित्यहीन होती मीडिया और दिशाहीन होती पत्रकारिता

    ReplyDelete
  12. बहुत ही अर्थवान और प्रेरक पोस्ट।

    ReplyDelete
  13. मान नहीं कीजे अगर , मृदा बाँझ हो जाय
    नादानी में ही कहीं , सब कुछ ना खो जाय.

    Awesome !

    .

    ReplyDelete
  14. सटीक व्यंग्य और सार्थक सन्देश !...

    ReplyDelete
  15. बहुत खूब ... साथक सन्देश है इन चुटीले दोहों में ...

    ReplyDelete
  16. sarthak sadesh deti behtreen prstuti....

    ReplyDelete