ले के सहारा झूठ का सुल्तान बन गए
ज्यों ताज सिर पे आ गया हैवान बन गए।
आवाम के जज़्बात की तो कद्र ही नहीं
लाठी उठाई हाथ में भगवान बन गए।
सब को बड़ी उम्मीद थी फस्लेबहार की
सपनों के सब्जेबाग़ अब वीरान बन गए।
घर में हमारे आग के शोले भड़क उठे
उनको किया जो इत्तिला नादान बन गए।
किस्मत में तेरी गम लिखा है भोग ले "अरुण"
गदहे भी अब के दौर में विद्वान बन गए।
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़
ज्यों ताज सिर पे आ गया हैवान बन गए।
आवाम के जज़्बात की तो कद्र ही नहीं
लाठी उठाई हाथ में भगवान बन गए।
सब को बड़ी उम्मीद थी फस्लेबहार की
सपनों के सब्जेबाग़ अब वीरान बन गए।
घर में हमारे आग के शोले भड़क उठे
उनको किया जो इत्तिला नादान बन गए।
किस्मत में तेरी गम लिखा है भोग ले "अरुण"
गदहे भी अब के दौर में विद्वान बन गए।
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़
बहुत खूब...
ReplyDeleteले के सहारा झूठ का सुल्तान बन गए
जब ताज सिर पे आ गया हैवान बन गए...
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (10-07-2019) को "नदी-गधेरे-गाड़" (चर्चा अंक- 3392) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
किस्मत में तेरी गम लिखा है भोग ले "अरुण"
ReplyDeleteगदहे भी अब के दौर में विद्वान बन गए।
बहुत ही सुन्दर...लाजवाब सृजन
वाह!!!