(1)
शरशय्या पर आम-जन, अर्जुन अंतिम आस।
धरती से धारा बहे, तभी बुझेगी प्यास।।
ढूँढते फिरते संजय।
दिखें ना उन्हें धनंजय।।
(2)
दुर्योधन दिखते कई, दुःशासन के साथ।
राजा श्री धृतराष्ट्र का, उनके सिर पर हाथ।।
सत्य, द्रोही कहलाए।
झूठ नित तमगे पाए।।
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़
शरशय्या पर आम-जन, अर्जुन अंतिम आस।
धरती से धारा बहे, तभी बुझेगी प्यास।।
ढूँढते फिरते संजय।
दिखें ना उन्हें धनंजय।।
(2)
दुर्योधन दिखते कई, दुःशासन के साथ।
राजा श्री धृतराष्ट्र का, उनके सिर पर हाथ।।
सत्य, द्रोही कहलाए।
झूठ नित तमगे पाए।।
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़
आवश्यक सूचना :
ReplyDeleteसभी गणमान्य पाठकों एवं रचनाकारों को सूचित करते हुए हमें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि अक्षय गौरव ई -पत्रिका जनवरी -मार्च अंक का प्रकाशन हो चुका है। कृपया पत्रिका को डाउनलोड करने हेतु नीचे दिए गए लिंक पर जायें और अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचाने हेतु लिंक शेयर करें ! सादर https://www.akshayagaurav.in/2019/05/january-march-2019.html