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Tuesday, May 7, 2019

दुमदार दोहे -

(1)
शरशय्या पर आम-जन, अर्जुन अंतिम आस।
धरती से धारा बहे, तभी बुझेगी प्यास।।
ढूँढते फिरते संजय।
दिखें ना उन्हें धनंजय।।

(2)
दुर्योधन दिखते कई, दुःशासन के साथ।
राजा श्री धृतराष्ट्र का, उनके सिर पर हाथ।।
सत्य, द्रोही कहलाए।
झूठ नित तमगे पाए।।

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़

1 comment:

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