दुमदार दोहे -
गर्मी का मौसम रहे, सिर पर रहे चुनाव।
अल्लू-खल्लू भी अकड़, गजब दिखाएँ ताव।।
राज आपस के खोलें
वचन सब कड़ुवे बोलें।।1।।
मंचों के भाषण लगें, ज्यों लू-झोंके गर्म।
इनकी गर्मी देखकर, ऋतु को आई शर्म।।
अजेंडा चुगली-चारी
भीड़ भाड़े की भारी।।2।।
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग
छत्तीसगढ़
गर्मी का मौसम रहे, सिर पर रहे चुनाव।
अल्लू-खल्लू भी अकड़, गजब दिखाएँ ताव।।
राज आपस के खोलें
वचन सब कड़ुवे बोलें।।1।।
मंचों के भाषण लगें, ज्यों लू-झोंके गर्म।
इनकी गर्मी देखकर, ऋतु को आई शर्म।।
अजेंडा चुगली-चारी
भीड़ भाड़े की भारी।।2।।
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग
छत्तीसगढ़
सुन्दर दोहे
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