मैं सिद्धार्थ शुद्धोधन
प्यारा
प्रजावती का राजदुलारा
लुम्बिनी में जन्म हुआ था
कपिलवस्तु था घर हमारा .
गौतम गोत्र शाक्य वंशधारी
क्षत्रीय वर्ण सनातनचारी
जन्मदात्री मेरी महामाया
मौसी गौतमी बनी थी धाया
राज-वैभव कभी रास न आया
याधोधरा भी लागे माया
पिता ने सारे जतन किये थे
मोहपाश में बंध नहीं पाया
.
देखा मैंने एक बीमार को
एक अपाहिज वृद्ध लाचार को
मृत देह काठी पर पाया
देख उसे वैराग्य समाया .
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श्रीमती
सपना निगम
बहुत सुन्दर सामयिक रचना ..
ReplyDeleteबुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनायें!
भावपूर्ण रचना बुद्ध जयन्ती पर |
ReplyDeleteछोटी सी कविता में बुध्द का पूरा जीवन समाता है।
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