मुझको हे वीणावादिनी
वर दे
कल्पनाओं को तू नए पर दे |
अपनी गज़लों में आरती गाऊँ
कंठ को मेरे तू मधुर स्वर दे |
झीनी झीनी चदरिया ओढ़ सकूँ
मेरी झोली में ढाई आखर दे |
विष का प्याला पीऊँ तो नाच उठूँ
मेरे पाँवों को ऐसी झाँझर दे |
सुनके अंतस् को मेरे ठेस लगे
मेरी रत्ना को ऐसे तेवर दे |
साँस सौरभ समाए शामोसहर
मुक्त विचरण करूँ वो अम्बर दे |
सूर बन कर चढ़ाऊँ नैन तुझे
इन चिरागों में रोशनी भर दे ||
(तरही ग़ज़ल)
अरूण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
कल्पनाओं को तू नए पर दे |
अपनी गज़लों में आरती गाऊँ
कंठ को मेरे तू मधुर स्वर दे |
झीनी झीनी चदरिया ओढ़ सकूँ
मेरी झोली में ढाई आखर दे |
विष का प्याला पीऊँ तो नाच उठूँ
मेरे पाँवों को ऐसी झाँझर दे |
सुनके अंतस् को मेरे ठेस लगे
मेरी रत्ना को ऐसे तेवर दे |
साँस सौरभ समाए शामोसहर
मुक्त विचरण करूँ वो अम्बर दे |
सूर बन कर चढ़ाऊँ नैन तुझे
इन चिरागों में रोशनी भर दे ||
(तरही ग़ज़ल)
अरूण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (07.02.2014) को " सर्दी गयी वसंत आया (चर्चा -1515)" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है,धन्यबाद।
ReplyDeleteमुझको हे वीणावादिनी वर दे
ReplyDeleteकल्पनाओं को तू नए पर दे |
बहुत खूब,सुंदर गजल ...! बधाई
RECENT POST-: बसंत ने अभी रूप संवारा नहीं है
बहुत सुंदर सरस्वती बन्दना .... बसंत पंचमी की शुभकामनायें ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : प्रकृति से मानव तक
आपकी इस प्रस्तुति को आज की जन्म दिवस कवि प्रदीप और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteकृपालु रहें वीणावादिनी !
ReplyDeleteमाँ की कृपा बनी रहे !
ReplyDeleteNew post जापानी शैली तांका में माँ सरस्वती की स्तुति !
सियासत “आप” की !
माँ शारदा कृपा करें ! शुभकामनायें !
ReplyDeleteनमन करूं चरणन में माँ सरस्वती।
ReplyDeleteकल्पनाओं को तू नए पर दे |
ReplyDeleteबहुत खूब,सुंदर गजल .....!!
अपनी गज़लों में आरती गाऊँ
ReplyDeleteकंठ को मेरे तू मधुर स्वर दे |
बहुत खूब,सुंदर गजल
मीठी, मन भावन गजाल अरुण जी ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना
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