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Monday, February 3, 2014

आल्हा छन्द

“हम सुधरे तो युग सुधरेगा”

आदिकाल के  मानव ने  था , रखा  सभ्यता के पथ पाँव
और  बाँटते  रहा  हमेशा  , अपनी  नव-पीढ़ी  को  छाँव
कालान्तर में वही सभ्यता , चरम -शिखर पर पहुँची आज
आओ हम मूल्यांकन कर लें,कितना विकसित हुआ समाज

नैतिकता को लील रहे हैं, कितने  चैनल औ’ चलचित्र
दूषित  वातावरण “पीढ़ियाँ” , कैसे खुद को रखें पवित्र   
कौन दिशा सभ्यता चली है,यह उन्नति है या अवसान
बलात्कार को  न्यौता  देते ,खुद ही उत्तेजक परिधान

मेहनत की  लुट रही कमाई , फूल रहा ‘सट्टा – बाजार’ 
धन-दौलत को  ‘जुआ’ खा रहा, मदिरा लूट रही घर-बार 
‘कर’ की लालच जोंक सरीखी,नशा कर रहा सेहत नाश
सत्यानाशी   सत्ताधारी , धरा   छोड़   देखें  आकाश

यदाकदा अब भी होते हैं,इस युग में भी बाल विवाह
ऐसे माता - पिता अशिक्षित, या  होते  हैं लापरवाह  
मार रहे कन्या-भ्रूणों को , वंश-वृद्धि की मन में चाह
पढ़े - लिखे ऐसे मूर्खों को , बोलो कौन दिखाये  राह

कहीं चोरियाँ  कहीं डकैती , कहीं राह में  कटती जेब
कहीं अपहरण कहीं फिरौती , कहीं झूठ  है कहीं फरेब
कहीं बाल-श्रमिकों का शोषण, कहीं भिखारी मांगें भीख
सदी यातना भुगत रही है , सिसक रही है हर तारीख  

किसको  जिम्मेवार  बतायें , किसके सर पर डालें दोष
किसके सम्मुख करें प्रदर्शन,प्रकट करें हम किस पर रोष
दोषारोपण छोड़ चलो हम, मिलजुल कर कर लें शुरुवात
“हम सुधरे तो युग सुधरेगा” , सोलह आने सच्ची बात

नैतिक शिक्षा पर बल देकर , बच्चों में डालें संस्कार
हंसों की पहचान करें हम , और चुनें उत्तम सरकार
त्याग सभ्यता पश्चिम की अब, सीखें बस पूरब का ज्ञान
फिर सोने की चिड़िया होगा, अपना भारत देश महान

अरुण कुमार निगम

आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)

7 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (04-02-2014) को कैसे मेरा हिन्दुस्तान लिखूँ...चर्चा अंक:1513 में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    बसंतपंचमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. अंतिम पंक्तियों पर कुछ कहना चाहती है
    आप को और पूरे परिवार को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं...!!

    @ संजय भास्कर

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  3. सच है हम सुधरेंगे तो युग सुधरेगा .... बहुत सुंदर प्रस्तुति ....

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  4. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, माँ सरस्वती पूजा हार्दिक मंगलकामनाएँ !

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  5. आल्हा छंद में अधिकतर वीर रस की रचनाएँ पढ़ीं थीं ,यह भी अच्छा प्रयोग है:
    वसंत की शुभ कामनाएँ !

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  6. कल 06/02/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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  7. आल्हा छंद में रची बहुत ही सुंदर प्रस्तुति...!बधाई
    बसंतपंचमी की हार्दिक शुभकामनाऐ ...

    RECENT POST-: बसंत ने अभी रूप संवारा नहीं है

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