रोटी भी पकानी है, मेहंदी भी रचानी है
जब वक़्त पड़े हाथों ,तलवार उठानी है |1|
बन पद्मिनी जली हूँ , दुर्गावती बनी हूँ
दुनियाँ ये कह रही है, तू दुर्गा भवानी है |2|
लहरा चुकी हूँ परचम,लेकिन न बात भूली
रस्मो रिवाज वाली ,बातें भी निभानी है |3|
इस देश पे लुटाए , हैं प्राण जवानी में
इतिहास गर्व करता,ये झाँसी की रानी है |4|
परिवार को सम्भाला,बच्चों को है सँवारा
हर सफलता के पीछे, मेरी ही कहानी है |5|
प्रेम बेलि बोई ,विष का पिया है प्याला
कहते हैं लोग मीरा,कान्हा की दीवानी है |6|
यमराज से मिली मैं , सिंदूर मांग लाई
मैं हूँ तपस्विनी जो, कैलाश की रानी है |7|
अब गर्भ में न मारो,दुनियाँ के ठेकेदारों
कन्या नहीं जहाँ पर,उस ठौर वीरानी है |8|
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ-
ReplyDeleteसुन्दर सन्देश-
चेतो रे हत्यारों-
कन्या को मत मारो -
अब गर्भ में न मारो,दुनियाँ के ठेकेदारों
ReplyDeleteकन्या नहीं जहाँ पर,उस ठौर वीरानी है
बहुत सुंदर ...
ReplyDeleteयमराज से मिली मैं , सिंदूर मांग लाई
मैं हूँ तपस्विनी जो, कैलाश की रानी है .... जहाँ मैं नहीं,वहां न अन्न न ज्ञान न वैभव न सम्मान
ReplyDeleteis khoobasoorat post ke liye badhai sweekaren.
बहुत सुंदर रचना |
ReplyDeleteआपकी उम्दा पोस्ट बुधवार (31-10-12) को चर्चा मंच पर | जरूर पधारें | सूचनार्थ |
फिर भी नारी कि महिमा नहीं समझ पाते .... बहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteअति उत्तम रचना....
ReplyDeleteशब्द -शब्द स्त्री महिमा
को व्यक्त करते है....
बहुत बढ़ियाँ
:-)
वाह बहुत ही सुंदर शब्दों को कविता का रूप देकर आत्यंत महत्वपूर्ण संदेश दिया है आपने आभार...
ReplyDeleteबहुत उम्दा नारी महिमा,,,,अरुण जी,,,बधाई इस सुन्दर रचना के लिये,,,,
ReplyDeleteइसी तरह मरती रही कन्याए इस जग का क्या होगा
एक दिन ऐसा आएगा जब पूरे जग में कोई न होगा,,,,,
RECENT POST LINK...: खता,,,
आपको पढना एक गीत गुनगुनाना है ,ज़िन्दगी का तराना है .औरत बस एक फसाना है .
ReplyDeleteनिगम सर वाह क्या बात है उम्दा प्रस्तुति
ReplyDeleteकविताई यहाँ देख के, हम तो हुए हैं दंग
ReplyDeleteजवाब नहीं है आपका कोई हो प्रसंग
कोई हो प्रसंग, बात हज़ार टका है भाई
कविता, दोहा, सोरठा सब ही दिया सजाई
पहली बार आई हूँ यहाँ, और बिलकुल निराश नहीं हूँ।।।
आपका आभार।
शब्दों से शब्द कहते कुछ खास कहानी है
ReplyDeleteहर शेर लगे उम्दा ये खास निशानी है
नारी की शक्तियों का सुन्दर सजा है दर्शन
चूल्हे से पद्मिनी तक की राह बयानी है
नारी की उन्नयन की है बात सही लगती
नारी के बिना जीवन मर जाये जवानी है
यमराज को भी झुकना इसके लिए पड़ा था
हर देवता है झुकते वो मातु भवानी है
जो कर रहे है हत्या तू कंस अब समझ ले
अरुण कह रहा है आकाश की वानी है
बहुत सुन्दर गजल है भाई अरुण हार्दिक बधाई
हर शेर लाजवाब है
लहरा चुकी हूँ परचम,लेकिन न बात भूली
ReplyDeleteरस्मो रिवाज वाली ,बातें भी निभानी है |
भारतीय नारी दर्शन ....बढ़िया रचना
kahin n kahin purush in guno me nari se peecche hi hoga fir bhi purush pradhan samaj hai.....kaisi vidambna hai.
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर शब्दों में लिखी भाव्नामई,प्रेममई अन्तेर्मन के विस्वास को बताती हुई बेमिसाल रचना /बहुत बधाई आपको .
ReplyDeleteभारतीय नारी दर्शन ....बढ़िया रचना
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