कुण्ठाएं तो अमरबेल सी
लिपट रहीं
मायावी इच्छाएं उर में
सिमट रहीं.
रीझ गया मन इंद्रजाल पर
यदि सखा !
प्रज्ञा हो अस्तित्वहीन
खो जाएगी.
‘भाग्य’ मृगतृष्णा-सा
‘सत्य’ कर्म है
तीव्र प्रवाहित जीवन का
‘प्रीत’ धर्म है .
लालच , ईर्ष्या , द्वेष
सँहारे नहीं गये तो
मीत ! सृष्टि अनुरक्तिहीन
हो जाएगी.
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़ )
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)
लालच , ईर्ष्या , द्वेष ... आज की ज़िंदगी में यही रह गयाहै ... संवेदनाएं खत्म होने को हैं ..
ReplyDeleteसार्थक सन्देश देती अच्छी रचना
भाग्य’ मृगतृष्णा-सा
ReplyDelete‘सत्य’ कर्म है
तीव्र प्रवाहित जीवन का
‘प्रीत’ धर्म है .
लालच , ईर्ष्या , द्वेष
सँहारे नहीं गये तो
मीत ! सृष्टि अनुरक्तिहीन
हो जाएगी... nihsandeh
सटीक बात, अक्षरश सत्य बात मर्मपूर्ण काव्य बधाई अरुण जी
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteलालच , ईर्ष्या , द्वेष
ReplyDeleteसँहारे नहीं गये तो
मीत ! सृष्टि अनुरक्तिहीन
हो जाएगी.………बिल्कुल सही कहा।
लालच , ईर्ष्या , द्वेष
ReplyDeleteसँहारे नहीं गये तो
मीत ! सृष्टि अनुरक्तिहीन
हो जाएगी.
बहुत अच्छा लिखे हैं सर!
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
ReplyDeleteबधाई महोदय ||
dcgpthravikar.blogspot.com
कुण्ठाएं तो अमरबेल सी
ReplyDeleteलिपट रहीं
मायावी इच्छाएं उर में
सिमट रहीं.
बहुत सार्थक चिंतन करती रचना है आदरणीय अरुण भईया....
सादर बधाई....
कुण्ठाएं तो अमरबेल सी
ReplyDeleteलिपट रहीं
मायावी इच्छाएं उर में
सिमट रहीं.....बहुत ही अच्छी रचना है......बधाई.....
बिलकुल सही और सटीक लिखा है आपने ..
ReplyDelete@संगीता स्वरुप ( गीत ) has left a new comment on your post "माया......":
ReplyDeleteलालच , ईर्ष्या , द्वेष ... आज की ज़िंदगी में यही रह गयाहै ... संवेदनाएं खत्म होने को हैं ..
सार्थक सन्देश देती अच्छी रचना
लालच , ईर्ष्या , द्वेष
ReplyDeleteसँहारे नहीं गये तो
मीत ! सृष्टि अनुरक्तिहीन
हो जाएगी....
सत्य कहा है अरुण जी .... ये सब बातें जीवन का रस खींच लेती हैं ...
गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने जो सराहनीय है!
ReplyDeleteलालच , ईर्ष्या , द्वेष
ReplyDeleteसँहारे नहीं गये तो
मीत ! सृष्टि अनुरक्तिहीन
हो जाएगी.
...बहुत सच कहा है...गहन भावों की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति..
रीझ गया मन इंद्रजाल पर
ReplyDeleteयदि सखा !
प्रज्ञा हो अस्तित्वहीन
खो जाएगी.
गहरी बात ...बेहतरीन रचना ....
लालच , ईर्ष्या , द्वेष
ReplyDeleteसँहारे नहीं गये तो
मीत ! सृष्टि अनुरक्तिहीन
हो जाएगी.
गहन शब्दो के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
बेहतरीन रचना....
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