"पढ़ना मत ऐसे अखबार"
राजाओं पर जान निसार
उनको बतलाते अवतार
जिनको पाल रही सरकार
पढ़ना मत ऐसे अखबार।
पाठक को कर दें बीमार
द्वेष बढ़ाने को तैयार
जुमले छापें, छोड़ विचार
पढ़ना मत ऐसे अखबार।
झूठी खबरों की भरमार
नित्य मचाते हाहाकार
हर दिन उगल रहे अंगार
पढ़ना मत ऐसे अखबार।
विज्ञापन की लगी कतार
करते हैं खालिस व्यापार
दिखती नहीं कलम की धार
पढ़ना मत ऐसे अखबार।
धन देती है जो सरकार
उसकी करते जय-जयकार
उग आये ज्यों खरपतवार
पढ़ना मत ऐसे अखबार।
सच को कहते भ्रष्टाचार
और झूठ को शिष्टाचार
बाँट रहे जग को अँधियार
पढ़ना मत ऐसे अखबार।
जिसका मालिक हो मक्कार
नहीं देश से जिसको प्यार
बढ़ा रहे धरती पर भार
पढ़ना मत ऐसे अखबार।
रचनाकार - अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग
छत्तीसगढ़
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 25 अक्टूबर 2021 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
एकदम सही कहा आपने पर क्या करे जब सभी एक जैसे ही हैं,बस अंधो में काना राजा चुनना है!
ReplyDeleteऔर पढ़े बिना रह भी नहीं सकते इसलिए पढ़ने के बाद खुद की तर्कशक्ति का इस्तेमाल जरूर करें फिर किसी की बात को सही माने यही हमारे लिए अच्छा होगा!
हमारे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है कृपया एक बार अवश्य आये 🙏
http://dbjmc.blogspot.com/2021/10/blog-post_23.html
कमोवेश यही हाल है सब जगह
ReplyDeleteपाठक को कर दें बीमार
ReplyDeleteद्वेष बढ़ाने को तैयार
जुमले छापें, छोड़ विचार
पढ़ना मत ऐसे अखबार।
बस यही समस्या है अखबार हो या न्यूज चैनल...फूहड़ता और ओछापन ही दिखता है सच दिखाना मंजूर ही नहीं।
आज के कटु सत्य पर आधारित उत्कृष्ट सृजन
बहुत बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन। Om Namah Shivay Images
ReplyDeleteअप्रतिम पूज्य गुरुदेव,, सुनिल शर्मा नील
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