गूंगे बतलाने चले, देखो गुड़ का स्वाद
अंधा बाँटे रेवड़ी, रखो कहावत याद।।
हाल हंस का देख कर, मैना बैठी मूक
मान मोर का छिन गया, कोयल भूली कूक।।
गर्दभ गायन कर रहे, कौवे देते दाद।
अंधा बाँटे रेवड़ी, रखो कहावत याद।।
गायें लावारिस हुईं, कुत्ते बैठे गोद
विज्ञ हाशिये पर गए, मूर्ख मनाते मोद।।
भैंस खड़ी पगुरा रही, कैसे हो संवाद।
अंधा बाँटे रेवड़ी, रखो कहावत याद।।
चमगादड़ पहना रहे, उल्लू के सिर ताज
शेर-बाघ हैं जेल में, गीदड़ का है राज।।
निर्णायक है भेड़िया, कौन करे फरियाद।
अंधा बाँटे रेवड़ी, रखो कहावत याद।।
अश्रु बहाने के लिए, तत्पर हैं घड़ियाल
लड़े जहाँ पर बिल्लियाँ, बंदर खाते माल।।
सभी जगह यह हाल है, नहीं कहीं अपवाद।
अंधा बाँटे रेवड़ी, रखो कहावत याद।।
रचनाकार - अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़
अंधा बाँटे रेवड़ी, रखो कहावत याद।।
हाल हंस का देख कर, मैना बैठी मूक
मान मोर का छिन गया, कोयल भूली कूक।।
गर्दभ गायन कर रहे, कौवे देते दाद।
अंधा बाँटे रेवड़ी, रखो कहावत याद।।
गायें लावारिस हुईं, कुत्ते बैठे गोद
विज्ञ हाशिये पर गए, मूर्ख मनाते मोद।।
भैंस खड़ी पगुरा रही, कैसे हो संवाद।
अंधा बाँटे रेवड़ी, रखो कहावत याद।।
चमगादड़ पहना रहे, उल्लू के सिर ताज
शेर-बाघ हैं जेल में, गीदड़ का है राज।।
निर्णायक है भेड़िया, कौन करे फरियाद।
अंधा बाँटे रेवड़ी, रखो कहावत याद।।
अश्रु बहाने के लिए, तत्पर हैं घड़ियाल
लड़े जहाँ पर बिल्लियाँ, बंदर खाते माल।।
सभी जगह यह हाल है, नहीं कहीं अपवाद।
अंधा बाँटे रेवड़ी, रखो कहावत याद।।
रचनाकार - अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (14-01-2018) को "मकर संक्रंति " (चर्चा अंक-2848) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हर्षोंल्लास के पर्व लोहड़ी और मकर संक्रान्ति की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आदरणीय शास्त्री जी
Deleteनिमंत्रण पत्र :
ReplyDeleteमंज़िलें और भी हैं ,
आवश्यकता है केवल कारवां बनाने की। मेरा मक़सद है आपको हिंदी ब्लॉग जगत के उन रचनाकारों से परिचित करवाना जिनसे आप सभी अपरिचित अथवा उनकी रचनाओं तक आप सभी की पहुँच नहीं।
ये मेरा प्रयास निरंतर ज़ारी रहेगा ! इसी पावन उद्देश्य के साथ लोकतंत्र संवाद मंच आप सभी गणमान्य पाठकों व रचनाकारों का हृदय से स्वागत करता है नये -पुराने रचनाकारों का संगम 'विशेषांक' में सोमवार १५ जनवरी २०१८ को आप सभी सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद !"एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'मंगलवार' १६ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteवाह ! क्या बात है ! लाजवाब !! बहुत खूब आदरणीय ।
ReplyDeleteग़ज़ब अरुण जी .... आपका जवाब नहीं ... स्वाद आ रहा है इस रचना का सीधे मन तक
ReplyDeleteवाह!!लाजवाब!!
ReplyDeleteबहुत खूब .....
ReplyDeleteआकर्षित करते शब्द .....!!
निमंत्रण
ReplyDeleteविशेष : 'सोमवार' २६ फरवरी २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीय माड़भूषि रंगराज अयंगर जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।
अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
निमंत्रण
ReplyDeleteविशेष : 'सोमवार' १९ मार्च २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीया 'पुष्पा' मेहरा और आदरणीया 'विभारानी' श्रीवास्तव जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।
अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
बहुत बढ़िया दोहा गुरुदेव।
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