Followers

Sunday, July 13, 2014

गज़ल : बड़ा ही शोर हुआ .......



गज़ल :  बड़ा ही शोर हुआ .......

ये प्यार मस्त नज़र के सिवा कुछ और नहीं
खुमार ए चढ़ती उमर के सिवा कुछ और नहीं |१|

 पूछ  यार  मुझे  प्यार किसको कहते हैं
मेरी नज़र में  हुनर के सिवा कुछ और नहीं |२|

विकास   आप  कहें , है  लकीर टेढ़ी – सी
हमारी  टूटी  कमर के  सिवा कुछ और नहीं |३|

क़ज़ा  सुकून  भरी   नींद - सी लगी  यारों
हयात सोज़ ए जिगर के सिवा कुछ और नहीं |४|

फँसा जो एक दफा फिर न आ सका बाहर 
ये लोभ एक भँवर के सिवा कुछ और नहीं |५|

कभी था  वक़्त बुरा , दर पे माँगने आया
सँभल गया तो कुँवर के सिवा कुछ और नहीं |६|

शराब   सिर्फ  इजाफा  करे  खजाने  में
सही कहें तो जहर के सिवा कुछ और नहीं |७|

खिंची तो टूट गई कब भला रही कायम
तुम्हारी बात रबर के सिवा कुछ और नहीं |८|

बड़ा ही शोर हुआ  स्वर्ग आ गया भू पर
हवा में उड़ती खबर के सिवा कुछ और नहीं |९|

गया    मर्ज  मेरा बस दवा मिली कड़वी
जवाब डोन्ट फिकर के सिवा कुछ और नहीं |१०|

कुछ एक साल हुए , गर्म सूप से था जला
डिमांड चिल्ड बियर के सिवा कुछ और नहीं |११|

(ओपन बुक्स आन लाइन के तरही मुशायरे में शामिल गज़ल)

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)

7 comments:

  1. गज़लों के बेहतरीन बोल है

    ReplyDelete
  2. सुंदर प्रस्तुति...
    दिनांक 14/07/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
    हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
    हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
    सादर...
    कुलदीप ठाकुर

    ReplyDelete
  3. न पूछ यार मुझे प्यार किसको कहते हैं
    मेरी नज़र में हुनर के सिवा कुछ और नहीं ...
    क्या गज़ब बात कह दी अरुण जी ... हम तो अभी तक इसे हकीकत समझ रहे थे ... प्यार तो हुनर है अब समझ आया ...

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  5. न पूछ यार मुझे प्यार किसको कहते हैं
    मेरी नज़र में हुनर के सिवा कुछ और नहीं
    बहुत बढ़िया

    ReplyDelete
  6. हर एक लाईन चूमने और झूमने के लायक है .......
    खुमार ए चढ़ती उमर के सिवा कुछ और नहीं ...लूट लिया मित्र ..बहुत जान है इसमें
    न पूछ यार मुझे प्यार किसको कहते हैं
    मेरी नज़र में हुनर के सिवा कुछ और नहीं ..गदगद कर दिया इस लाइन ने शराब सिर्फ इजाफा करे खजाने में
    सही कहें तो जहर के सिवा कुछ और नहीं ... करारा व्यंग है समझने वालों के लिए

    खिंची तो टूट गई कब भला रही कायम
    तुम्हारी बात रबर के सिवा कुछ और नहीं ...क्या नजाकत है खिंची तो टूट गई...रबर के सिवा वाह क्या कहने है

    बड़ा ही शोर हुआ स्वर्ग आ गया भू पर
    हवा में उड़ती खबर के सिवा कुछ और नहीं ...वाह मित्र वाह दुष्यंत उतर आये है धरा पर
    पूरी गजल हकीकत बयाँ कर रहीं है बहुत बहुत धन्यवाद इस उम्दा गजल के लिए

    ReplyDelete