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Sunday, June 2, 2013

कुण्डलिया छंद :



(चित्र गूगल से साभार)

तत्व एक शैतान-सा

अनगढ़  मिट्टी  से  मिली भोली-भाली  शक्ल
तत्व  एक  शैतान -सा , कहते जिसको अक्ल
कहते जिसको  अक्ल,गड़बड़ी का यह कारक
खतरनाक   है    खूब  ,  बड़ा   ही   है  संहारक
रखें  नियंत्रित  इसे  ,  कभी  ना  बैठे  सिर चढ़
समय  चाक  तो “अरुण”, सँवारे मिट्टी अनगढ़ ||

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्टमेंट, विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)

14 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (03-06-2013) के :चर्चा मंच 1264 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
    सूचनार्थ |

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  2. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (03-06-2013) के :चर्चा मंच 1264 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
    सूचनार्थ |

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  3. बहुत सुंदर रचना ,,,

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  4. रखें नियंत्रित इसे , कभी ना बैठे सिर चढ़
    समय चाक तो “अरुण”, सँवारे मिट्टी अनगढ़ ||

    वाह वाह !!! बहुत खूब सुंदर रचना जनाब ,,, बधाई

    recent post : ऐसी गजल गाता नही,

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  5. आपकी यह रचना कल सोमवार (03 -06-2013) को ब्लॉग प्रसारण के "विशेष रचना कोना" पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  6. बहुत सुंदर कुण्डलिया आदरणीय अरुण कुमार निगम सर। हार्दिक बधाई।

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  7. अक्ल ही तो सारी खुराफात की जड़ है ...बहुत सुंदर कुंडली

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  8. बेहतरीन कुण्डलियाँ ...

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  9. एकदम अलग अंदाज है आपके इन छंदों का.. मारक..भेदक..

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  10. बहुत सुन्दर और सार्थक रचना...

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  11. प्राञ्जल प्रवाह-पूर्ण प्रशंसनीय प्रस्तुति ।

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