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Sunday, November 11, 2012

दीपावली पर ग्राम्य-दृश्य की स्मृतियाँ




मिट्टी  की  दीवार पर , पीत छुही का रंग
गोबर लीपा आंगना , खपरे मस्त मलंग |

तुलसी चौरा लीपती,नव-वधु गुनगुन गाय
मनोकामना कर रही,किलकारी झट आय |

बैठ परछिया  बाजवट , दादा  बाँटत जाय
मिली पटाखा फुलझरी, पोते सब हरषाय |

मिट्टी का चूल्हा हँसा  , सँवरा  आज शरीर
धूँआ चख-चख भागता, बटलोही की खीर |

चिमटा फुँकनी करछुलें,चमचम चमकें खूब
गुझिया खुरमी   नाचतीं , तेल  कढ़ाही डूब |

फुलकाँसे की थालियाँ ,लोटे और गिलास
दीवाली पर बाँटते, स्निग्ध मुग्ध मृदुहास |

मिट्टी के  दीपक जले , सुंदर एक कतार
गाँव समूचा आज तो, लगा एक परिवार |
शुभम करोति कल्याणम आरोग्यगुणम संपदाम

**********शुभ-दीपावली***********

अरुण कुमार निगम तथा निगम परिवार
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
********************************

24 comments:

  1. बहुत खूबसूरती से गाँव की दिवाली का रंग को उकेरा है अपने दोहों में,,,,
    दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें |

    RECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,

    म्यूजिकल ग्रीटिंग देखने के लिए कलिक करें,

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    1. आदरणीय धीरेंद्र सिंह भदौरिया जी साभार.....

      चंदा छुट्टी पर गया ,गाँव मटकते मस्त
      बेचारा उन्तीस दिन ,रहा काम में व्यस्त
      रहा काम में व्यस्त,बॉस अति टेंशन देता
      संडे को भी उसे बुला , कर काम है लेता
      मना नहीं कर पाय, चाँद है सीधा बंदा
      गाँव मटकते मस्त, गया छुट्टी पर चंदा ||

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    2. चंदा छुट्टी पर गया,कर गया अंधियार
      दीप जलाकर कर रहे,जीवन में उजियार
      जीवन में उजियार,सफाई करा रहे है
      लक्ष्मी जी को बुला,दिवाली मना रहे है,
      महगाई ने कर दिया,त्यौहार को मंदा,
      जल्दी लौटके आजाय,गया छुट्टी पर चंदा,,,

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  2. बहुत बढ़िया दोहे ....सादर जय जोहार
    दृश्य दिवाली गाँव का, दियो सुघर समुझाय।
    स्वीकारें शुभकामना, कल छोटि दिवाली आय।।
    ........आपके .शब्द चयन का जवाब नही .....
    पुनः हम सभी की ओर से पञ्च दिवसीय दीपोत्सव
    की हार्दिक बधाई .....

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    1. प्रिय भाई सूर्यकांत जी,

      देवारी तिहार के गाड़ा गाड़ा बधई.......

      पूरब ही तो चीरता, तिमिर कलुष अज्ञान
      पश्चिम क्या जाने इसे, वह तो है नादान
      वह तो है नादान,नहीं जाने दीवाली
      समझ रहा है दीप, सिर्फ माटी की प्याली
      बाती तेल जलाव,तिमिर दुनियाँ का जीतो
      तिमिर कलुष अज्ञान,चीरता है पूरब ही तो ||

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  3. खेतों में बागो में दियना करे उजास,
    मीठी सी लौ भर रही चारो ओर मिठास.

    दसो दिशाओं में घुली भीनी-भीनी गंध,
    कण-कण पुलकित हो उठे लूट रहे आनंद.

    नयी फसल लेकर आयी घर में गुड औ धान,
    लईया खील बताशों से अभिनंदित मेहमान.

    गेरू गोबर माटी से लिपा पुता है गाँव,
    घर से भगे दलिद्दर सर पे रखकर पाँव.

    झांझ मजीरा ढोलक बाजे झूम रही चौपाल,
    नाचे मन हो बावरा देकर ताल पे ताल.

    फूटी मन में फुलझड़िया पूरण होगी आस,
    परदेसी पिऊ आ गए गोरी छुए अकास.

    दीवाली ने कर दिया ज्योतिर्मय संसार,
    सबके आँगन में खिले सुख समृद्धि अपार.

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    1. स्वागत है आदरणीय प्रो.पवन कुमार मिश्र जी.....
      **********************************************
      'पवन' चले जब बाग(ब्लॉग) में,अरुण सुमन(सु-मन) मुस्काय
      पर्ण पर्ण "दीपावली शुभ हो" कहता जाय ||
      **********************************************
      चाक चढ़ा तप कर बना, माटी का यह दीप
      फिर बाती के संग जल , आया हृदय समीप
      ********************************
      सहपाठी यह भी हुआ, जागा मेरे संग
      बाल भारती में भरे , इस दीये ने रंग ||
      ********************************
      माटी जब तक नम रहे,सब समझें कमजोर
      भट्टी में जल जाय फिर , होती बहुत कठोर ||
      *********************************

      ना बाती के दिन बचे,ना बाँटी का खेल
      बिजली की झालर जली,महंगा तिल्ली तेल ||
      **********************************
      रोज दिवाली शहर में , जगमग है बाजार
      भौतिक सुख सारे मिले,मिला न केवल प्यार ||


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    2. man kilkit-pulkit cha pramudit hua.......


      pranam.

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  4. Replies
    1. आदरेया, दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
      सुंदर मंगल कामना ,पूरी कीजे राम
      रामराज सी प्रात हो,दीवाली सी शाम ||

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  5. बढ़िया चित्रण
    दीपोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाइयाँ
    Gyan Darpan

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    Replies
    1. मन से स्वागत मित्रवर,बहुत-बहुत आभार
      मंगलमय हो आपको , दीपों का त्यौहार ||

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  6. दे कुटीर उद्योग फिर, ग्रामीणों को काम ।
    चाक चकाचक चटुक चल, स्वालंबन पैगाम ।।

    हर्षित होता अत्यधिक, कुटिया में जब दीप ।
    विषम परिस्थिति में पढ़े, बच्चे बैठ समीप ।।

    माटी की इस देह से, खाटी खुश्बू पाय ।
    तन मन दिल चैतन्य हो, प्राकृत जग हरषाय ।।

    बाता-बाती मनुज की, बाँट-बूँट में व्यस्त ।
    बाती बँटते नहिं दिखे, अपने में ही मस्त ।।

    अँधियारा अतिशय बढ़े , मन में नहीं उजास ।
    भीड़-भाड़ से भगे तब, गाँव करे परिहास ।।

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  7. दीवाली के पर्व पर,दोहों की सौगात
    दुल्हन जैसी सज गई, आज अमावस रात
    आज अमावस रात, मिटा मन का अंधियारा
    गगन दीप हैं "रवि",लुटाते जो उजियारा
    भावों की ये छटा , लग रही बड़ी निराली
    अरुण निगम कह रहा, सभी को "शुभ- दीवाली" ||

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  8. दीप पर्व की परिवारजनों संग हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं.

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  9. ग्राम्य परिवेश का बहुत ही सुन्दर वर्णन....
    बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति...
    आपको सहपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ..
    :-)

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  10. ye raha shrotaon ke taraf se halki-halki thapki is komal geet par........


    pranam.

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  11. सुन्दर प्रस्तुति.

    दीप पर्व की आपको व आपके परिवार को ढेरों शुभकामनायें

    मन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ

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  12. सुन्दरम मनोहरम ,खूबसूरत विवरण प्रधान रचना .


    शुभ दीपावली ...

    मिट्टी की दीवार पर , पीत छुही का रंग
    गोबर लीपा आंगना , खपरे मस्त मलंग |

    तुलसी चौरा लीपती,नव-वधु गुनगुन गाय
    मनोकामना कर रही,किलकारी झट आय |

    बैठ परछिया बाजवट , दादा बाँटत जाय
    मिली पटाखा फुलझरी, पोते सब हरषाय |

    मिट्टी का चूल्हा हँसा , सँवरा आज शरीर
    धूँआ चख-चख भागता, बटलोही की खीर |

    चिमटा फुँकनी करछुलें,चमचम चमकें खूब
    गुझिया खुरमी नाचतीं , तेल कढ़ाही डूब |

    फुलकाँसे की थालियाँ ,लोटे और गिलास
    दीवाली पर बाँटते, स्निग्ध मुग्ध मृदुहास |

    मिट्टी के दीपक जले , सुंदर एक कतार
    गाँव समूचा आज तो, लगा एक परिवार |



    अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)November

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  13. सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,

    मिलजुल के मनाये दिवाली ,

    कोई घर रहे न रौशनी से खाली .

    हैपी दिवाली हैपी दिवाली .

    वीरुभाई

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  14. मिट्टी की दीवार पर , पीत छुही का रंग
    गोबर लीपा आंगना , खपरे मस्त मलंग |

    तुलसी चौरा लीपती,नव-वधु गुनगुन गाय
    मनोकामना कर रही,किलकारी झट आय |

    बैठ परछिया बाजवट , दादा बाँटत जाय
    मिली पटाखा फुलझरी, पोते सब हरषाय |

    मिट्टी का चूल्हा हँसा , सँवरा आज शरीर
    धूँआ चख-चख भागता, बटलोही की खीर |

    चिमटा फुँकनी करछुलें,चमचम चमकें खूब
    गुझिया खुरमी नाचतीं , तेल कढ़ाही डूब |

    फुलकाँसे की थालियाँ ,लोटे और गिलास
    दीवाली पर बाँटते, स्निग्ध मुग्ध मृदुहास |

    मिट्टी के दीपक जले , सुंदर एक कतार
    गाँव समूचा आज तो, लगा एक परिवार

    ग्राम्य जीवन की सुहास मिठास जन जीवन की झांकी प्रस्तुत करतें हैं यह भाव जगत के दोहे ,संस्कृति की थाती बने दोहे

    .अरुण निगम रस बोरे .

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  15. वाह वाह वाह वाह !

    दोहे रचते आप तो , श्रेष्ठ सदा… कविराज !
    यहां पढ़ा तो… फिर यही , हुआ प्रमाणित आज !!


    बधाई और शुभकामनाओं सहित…

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  16. ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
    ♥~*~दीपावली की मंगलकामनाएं !~*~♥
    ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
    सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान
    लक्ष्मी बरसाएं कृपा, मिले स्नेह सम्मान

    **♥**♥**♥**● राजेन्द्र स्वर्णकार● **♥**♥**♥**
    ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ

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  17. देख ग्राम्य - दृश्य को हुआ प्रफुल्ल बहुत मन
    दीवाली की शुभकामना पहुंचे सब जन - जन

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