-अरुण कुमार निगम
चादर सी ,चूनर सी- चैत की चंदनिया
झांझर सी,झूमर सी - चैत की चंदनिया
महुआ की मधुता सी, मनभाती-मदमाती
छिटके गुलमोहर सी - चैत की चंदनिया
अनपढ़ - अनाड़ी सी ,सल्फी सी-ताड़ी-सी
मादक-सी,मनहर सी - चैत की चंदनिया
अधपक्की इमली सी ,खटमिट्ठी -खटमिट्ठी
सरसों सी,सुन्दर सी - चैत की चंदनिया
मनभाये बैरी सी , अमुआ की कैरी सी
टेसू सी ,सेमर सी - चैत की चंदनिया
कोयल की कुहु-कुहु सी ,पपीहे की पीहु-पीहु सी
उड़ते कबूतर सी - चैत की चंदनिया
सतरंगी सपनों सी, दूर बसे अपनो सी
प्रिय की धरोहर सी - चैत की चंदनिया
मंगतू की मेहनत सी, चैतू की चाहत सी
गेहूँ सी,अरहर सी - चैत की चंदनिया
हल्बी सी,गोंड़ी सी, छत्तीसगढ़ी बोली सी
भोले से बस्तर सी - चैत की चंदनिया
ज्योति की शक्ति सी,भक्तों की भक्ति सी
माता के मंदिर सी - चैत की चंदनिया
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चादर सी ,चूनर सी- चैत की चंदनिया
झांझर सी,झूमर सी - चैत की चंदनिया
महुआ की मधुता सी, मनभाती-मदमाती
छिटके गुलमोहर सी - चैत की चंदनिया
अनपढ़ - अनाड़ी सी ,सल्फी सी-ताड़ी-सी
मादक-सी,मनहर सी - चैत की चंदनिया
अधपक्की इमली सी ,खटमिट्ठी -खटमिट्ठी
सरसों सी,सुन्दर सी - चैत की चंदनिया
मनभाये बैरी सी , अमुआ की कैरी सी
टेसू सी ,सेमर सी - चैत की चंदनिया
कोयल की कुहु-कुहु सी ,पपीहे की पीहु-पीहु सी
उड़ते कबूतर सी - चैत की चंदनिया
सतरंगी सपनों सी, दूर बसे अपनो सी
प्रिय की धरोहर सी - चैत की चंदनिया
मंगतू की मेहनत सी, चैतू की चाहत सी
गेहूँ सी,अरहर सी - चैत की चंदनिया
हल्बी सी,गोंड़ी सी, छत्तीसगढ़ी बोली सी
भोले से बस्तर सी - चैत की चंदनिया
ज्योति की शक्ति सी,भक्तों की भक्ति सी
माता के मंदिर सी - चैत की चंदनिया
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ReplyDeleteबहुत हि गरीब किसान वर्ग को लेकर(मंगतू कि मेहनत )एवं लुभावने मौसम के अनुसार प्रकृति के अनेकों पल्लवित पलों को आपने मदमाते उल्लासित और रोमांचित कर देने वाले चैत के महीने पर जो गीत लिखा है एक प्रखर गीतकार कि भावनाएँ हि इतने गहराई तक जा सकती है और छोटी सी कविता में सैकड़ों पन्नों के प्रसंग को समेट सकती है|
ReplyDeleteचैत की चंदनिया....
ReplyDeleteनिर्झर की तरह कल-कल करती सुन्दर रचना....
हार्दिक शुभकामनायें !
ARUN JI, PLEASE CLOSE THE WORD VERIFICATION OPTION.
प्रवाहमय लयबद्ध गीत, चैत की चन्दनिया!!
ReplyDeleteआपके इस सुन्दर ब्लॉग का स्वागत!! और आपके मेरे ब्लॉग पर पधारने का शुक्रिया!!
बहुत सुन्दर प्रवाहमयी अभिव्यक्ति..शब्दों और भावों का सुन्दर संयोजन..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गीत ...
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपकी दी हुई टिप्पणी ने उत्साह से भर दिया ... आभार
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 31 - 05 - 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच --- चर्चामंच
क्या बात है ... गजब कि रचना है ... बहुत अच्छा लगा पढकर ...
ReplyDeleteग़ज़ल में अब मज़ा है क्या ?
khatti mithi si aapki chandaniyaa
ReplyDeleteman ko libha gayi aapki chandamiya
swagat hai .......shubhakamnaaye
चैत की चांदनी का यह दिलकश वर्णन हमें अपने गाँव की ओर खींचने लगा . शहरों में ऐसा नजारा कहाँ ?
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लयबद्ध गीत!
ReplyDeleteआपने लिखा....हमने पढ़ा
ReplyDeleteऔर लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 10/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!
बहुत सुन्दर लिखा है.
ReplyDeleteअहा....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
सतरंगी सपनों सी, दूर बसे अपनो सी
प्रिय की धरोहर सी - चैत की चंदनिया
बहुत खूब!!
सादर
अनु