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Wednesday, April 13, 2022

नव-गीत

 विधा पुरानी बात नयी.....


"विष्णुपद छन्द आधारित गीत"


मनगढ़ंत आँकड़े दिखा कर, हरदम रास करें।

रात-दिवस चैनल पर आकर, बस बकवास करें।।


भोली जनता गोटी जैसी, चौसर देश हुआ।

प्यादों के मरने पर उनको, तनिक न क्लेश हुआ।।

मांस नोचते गिद्धों पर हम, क्यों विश्वास करें?


निर्वासित हो गयी नौकरी, डिग्री चीख रही।

मजबूरों के हिस्से में, राशन की भीख रही।।

सेवक जब स्वामी बन बैठे, किससे आस करें?


अरुण कुमार निगम

1 comment:

  1. मार्मिक रचना, देश के निर्माण का काम सभी का है

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