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Sunday, July 14, 2013

सूरत बदल के देखते हैं.....


चलो जहान की  सूरत  बदल के देखते हैं
पराई आग में  कुछ रोज  जल के देखते हैं

कहा सुनार ने सोना निखर गया जल के
किसी सुनार के हाथों पिघल के देखते हैं

कभी  कही  न  जुबां से गलत सलत बातें
हरेक  बात  पे   मेरी  उछल  के  देखते  हैं 

अभी  उड़ान  से  वाकिफ  नहीं  हुये  बच्चे
हमारे  नैन  से  सपने  महल के  देखते हैं  

जरा  सबर  तो रखो होश फाख्ता न करो
अभी कुछ और करिश्में गज़ल के देखते हैं 

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्टमेंट, विजय नगर, जबलपुर (मध्य प्रदेश)

10 comments:

  1. वाह...
    अभी उड़ान से वाकिफ नहीं हुये बच्चे
    हमारे नैन से सपने महल के देखते हैं
    बहुत बढ़िया ग़ज़ल..

    सादर
    अनु

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  2. कहा सुनार ने सोना निखर गया जल के
    किसी सुनार के हाथों पिघल के देखते हैं
    वाह!....
    वो तो निखर गये ,सुनार के हाथों
    चलो आज हम ख़ुद ही निखर के देखते हैं ....
    शुभकामनायें!

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  3. अभी उड़ान से वाकिफ नहीं हुये बच्चे
    हमारे नैन से सपने महल के देखते हैं,,,

    वाह वाह !!! कमाल की गजल लिखी आपने,,,क्या बात है,,अरुण जी,

    RECENT POST : अपनी पहचान

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  4. बहुत बढ़िया ग़ज़ल

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  5. ek se badh kar ek sher kahe aapne ..bahut khoob..

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  6. जरा सबर तो रखो होश फाख्ता न करो
    अभी कुछ और करिश्में गज़ल के देखते हैं ...वाह बहुत बढिया गजल..

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  7. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  8. बहुत खुबसूरत ग़ज़ल !!

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  9. कहा सुनार ने सोना निखर गया जल के
    किसी सुनार के हाथों पिघल के देखते हैं

    ....बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...

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  10. अभी उड़ान से वाकिफ नहीं हुये बच्चे
    हमारे नैन से सपने महल के देखते हैं
    बहुत बढ़िया ग़ज़ल..

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