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Wednesday, June 5, 2013

विश्व पर्यावरण दिवस पर ............



(चित्र गूगल से साभार)
 कुण्डलिया छंद

मानव  ने  छेड़ा  इसे  भुगत  रहे   हैं  आज
अब मौसम का देखिए,बिगड़ा हुआ मिजाज
बिगड़ा हुआ मिजाज , संतुलन इसने खोया
कहीं  बरसती  आग  , बाढ़  ने  कहीं डुबोया
झूमा  मद  में  चूर  हाय   बन  बैठा  दानव
दोहन से आ बाज , सँभल जा अब भी मानव ||

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्रीअपार्टमेंट,विजय नगर, जबलपुर (मध्य प्रदेश)

15 comments:

  1. आदरणीय गुरुदेव श्री सादर प्रणाम पर्यावरण दिवस पर सुन्दर शिक्षाप्रद एवं लाजवाब कुण्डलिया छंद प्रस्तुत किया है आपने, मानव वाकई दानव बन गया है गुरुदेव श्री सत्यता को सुन्दरता से परिभाषित किया है आपने, ढेरों बधाई स्वीकारें.

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  2. एक लम्बे ब्रेक के बाद कुछ कोशिश की है आपकी खूबसूरत कुण्डलियाँ पर टिप्पणी करने की-
    शुभकामनायें-

    खेड़ा का बेड़ा गरक, फरक करे सरकार |
    छेड़ा भेड़ाचाल से, जन अस्तित्व नकार |
    जन अस्तित्व नकार, कौड़ियों में आवंटन |
    करके भ्रष्टाचार, करें संसद में मंथन |
    मंथन-विष पी आम, ख़ास खा अमृत पेड़ा |
    जल बिन जले जमीन, मीन मर करे बखेड़ा ||

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  3. bahut sundar srijan sir ......sabdon ke tamache insaan ko jo ab insaan naa raha
    sundar rachna .....wada apne hisse ki kudrat ko sawarne ka

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  4. आपकी यह पोस्ट आज के (०५ जून, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई

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  5. पर्यावरण दिवस पर सुन्दर रचना प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद।

    घुइसरनाथ धाम - जहाँ मन्नत पूरी होने पर बाँधे जाते हैं घंटे।

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  6. पर्यावरण दिवस पर बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ ...

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  7. आपकी यह रचना कल बृहस्पतिवार (06 -06-2013) को ब्लॉग प्रसारण के "विशेष रचना कोना" पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  8. वाह!! बहुत ही सुंदर एवं सार्थक रचना ...

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  9. आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
    कृपया पधारें

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  10. शानदार,पर्यावरण पर बहुत ही उम्दा प्रस्तुति,,,बधाई

    RECENT POST: हमने गजल पढी, (150 वीं पोस्ट )

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  11. भाई अरुण आपकी ये कुण्डली ज्योतिष विधा से लिखी गई लग रही है
    पर्यावरण के विनाश का परिणाम १६ जून को सारी दुनिया ने देख लिया है

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  12. वाह!! बहुत ही सुंदर एवं सार्थक रचना

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