अरुणोदय की मंगल बेला
कलश लिये ऊषा का आना
कलरव के सरगम वंदन से
श्रम का सूरज पूजा जाना.
ओस कणों को दूर्बादल से
चुन चुन कर रश्मि ने बीना
कृषकों के तन से झर आये
हीरा, मोती और नगीना.
हर पग पर इतिहास रचा है
निखर रहा उन्नति का अर्चन
तन का होता नाश अरे !
बाधाओं का आत्म समर्पण.
जन गण मन के मधुर सुरों से
आओ मंगल गान करें
संस्कृति के आदर्शों से
नव युग का आव्हान करें.
कृपया एक क्लिक यहाँ भी-
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)
Hey buddy that was a gud post
ReplyDeletelot of quality stuff and essential information
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हर पग पर इतिहास रचा है
ReplyDeleteनिखर रहा उन्नति का अर्चन
तन का होता नाश अरे !
बाधाओं का आत्म समर्पण.
बहुत बढ़िया सर!
सादर
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
ReplyDelete----------------------------
कल 27/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
जन गण मन के मधुर सुरों से
ReplyDeleteआओ मंगल गान करें
संस्कृति के आदर्शों से
नव युग का आव्हान करें...बहुत ही सुन्दर
सभी को गणतन्त्र दिवस पर हार्दिक बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteगणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ..
सुन्दर कविता....बधाई....
ReplyDeleteकृपया इसे भी पढ़े-
क्या यही गणतंत्र है
क्या यही गणतंत्र है
जन गण मन के मधुर सुरों से
ReplyDeleteआओ मंगल गान करें
संस्कृति के आदर्शों से
नव युग का आव्हान करें...
Ameen ... is nav yug ke aahwaan mein sabhi shaamil hon ... desh unnat aur vishaal ho ...
गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ...
कृषकों के तन से झर आये
ReplyDeleteहीरा, मोती और नगीना.
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ .. सुन्दर भाव से सजी पूरी रचना .. गणतंत्र दिवस की शुभकामनयें
ओस कणों को दूर्बादल से
ReplyDeleteचुन चुन कर रश्मि ने बीना
कृषकों के तन से झर आये
हीरा, मोती और नगीना.
श्रम की महत्ता अभिव्यक्त करता प्रभावशाली गीत।
गणतंत्र दिवस की बधाई।
बहुत ही सुंदर भाव संयोजन से सजी भावपूर्ण एवं देश भक्ति से चलचलती कविता समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
ReplyDeletehttp://aapki-pasand.blogspot.com
सुन्दर आव्हान..गणतंत्र दिवस की बधाई .
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति,भावपूर्ण अच्छी रचना,..
ReplyDeleteWELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....
सुन्दर भाव से सजी पूरी रचना .. गणतंत्र दिवस की शुभकामनयें
ReplyDeleteजय हिंद...वंदे मातरम्।
sarv pratham to badhaai sweekaren open book me vijeta banne ki.vo chhand bhi aapka kamaal ka hai.yeh kavita bhi bahut uttam sashqt rachna hai iske liye bhi badhaai.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर , गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत सुंदर बधाई आपकी कविता में कवी है.साथ आप की कविता पर टिप्पणी कर्ता गणों की
ReplyDeleteटिप्पणी भी बहुत अच्छी लगती है|
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ..गणतंत्र दिवस की बधाई।
ReplyDeleteबहुत प्यारी कविता .... जय हिंद
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव पूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteआशा
आज के चर्चा मंच पर आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
Deleteका अवलोकन किया ||
बहुत बहुत बधाई ||
वाह एक के साथ एक मुफ्त .दोनों रचनाएं उत्तम बेहतरीन आंचलिक कोमल शब्दावली भा गई ,मन हर्षा गई ,जैसे 'दूर्बादल '/ऊषा आदि .पति -पत्नी में साहित्यिक संगतता कम्पेतिबिलिती का अपना सुख बोध है जो आपका निजिक है .लाभान्वित हम भी हें हैं .
ReplyDeleteक्या भाव! क्या अभिव्यक्ति...मन प्रसन्न हो गया
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और भावात्मक ...
ReplyDelete"ओस कणों को दूर्बादल से
ReplyDeleteचुन चुन कर रश्मि ने बीना
कृषकों के तन से झर आये
हीरा, मोती और नगीना."
"संस्कृति के आदर्शों से
नव युग का आव्हान करें"
-अति सुंदर !
-
जन गण मन के मधुर सुरों से
ReplyDeleteआओ मंगल गान करें
संस्कृति के आदर्शों से
नव युग का आव्हान करें.
बहुत सुंदर आवाहन...ओ बी ओ पर पुरस्कार जीतने के लिए बधाई!
बंसतोत्सव की अनंत शुभकामनाऍं
ReplyDeleteकुछ अनुभूतियाँ इतनी गहन होती है कि उनके लिए शब्द कम ही होते हैं !
ReplyDeleteजन गण मन के मधुर सुरों से
ReplyDeleteआओ मंगल गान करें
संस्कृति के आदर्शों से
नव युग का आव्हान करें
बहुत खूबसूरत