अनकहा
पैगाम...
बहुरिया के हाथ कच्चा
आम है
सास खुश है, अनकहा पैगाम है |
वो समझता ही नहीं
संकेत को
क्या कहूँ वो पूरा
झण्डू बाम है |
झुनझुने के शोर से
चुप हो गया
आम इंसां का यही तो
काम है |
काम धंधे से मिली
फुरसत हमें
साँझ पूजा , सुबह प्राणायाम है |
छोड़ आए हम जमाने की
फिकर
अब कहीं जाकर मिला
आराम है |
अरुण कुमार निगम
आदित्यनगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्टमेंट, विजय नगर, जबलपुर
(मध्यप्रदेश)
बहुरिया के हाथ कच्चा आम है
ReplyDeleteसास खुश है, अनकहा पैगाम है |
बहुत बेहतरीन सुंदर गजल ,,,वाह !!! क्या बात है,अरुण जी,बधाई
RECENT POST: मधुशाला,
झुनझुने के शोर से चुप हो गया
ReplyDeleteआम इंसां का यही तो काम है |
bahut badhiyan!
-Abhijit (Reflections)
जमाने की फिक्र छूट जाये तो सच ही आराम ही आराम है .... खूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeleteकाम धंधे से मिली फुरसत हमें
ReplyDeleteसाँझ पूजा , सुबह प्राणायाम है ..
प्रणाम है इस गज़ल पे ... हर शेर अरुण जी कमाल है ... मस्त है ... जुदा है ...
बहुत उम्दा है ..
बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल की प्रस्तुति.
ReplyDeleteकाम धंधे से मिली फुरसत हमें
ReplyDeleteसाँझ पूजा , सुबह प्राणायाम है |
ye meri pasand baki chakachak
abhar
काम धंधे से मिली फुरसत हमें
ReplyDeleteसाँझ पूजा , सुबह प्राणायाम है वाह बहुत बढिया गजल..आभार
बहुरिया के हाथ कच्चा आम है,
ReplyDeleteसास खुश है, अनकहा पैगाम है ।
लाज़वाब और ख़ूबसूरत बात कही है !
छोड़ आए हम जमाने की फिकर
ReplyDeleteअब कहीं जाकर मिला आराम है |
बहुत ही बढ़िया
वाह आदरणीय गुरुदेव श्री वाह मज़ा आ गया सभी के सभी अशआर ह्रदय स्पर्शी लाजवाब धारदार जोरदार हुए हैं वाह इस शानदार ग़ज़ल हेतु दिली दाद के साथ साथ हार्दिक बधाई भी स्वीकारें. जय हो .
ReplyDeletesundar rachna ...........aaram nahi milne vaala hai aapko kyonki agli rachna ka hame intjar hai
ReplyDeleteछोड़ आए हम जमाने की फिकर
ReplyDeleteअब कहीं जाकर मिला आराम है |
b ahut accha ..ye bhi jaruri hai ..
अच्छी रचना..
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