अहा ! बालपन, बहुत निराला |
सीधा – सादा, भोला - भाला ||
प्यास लगे तो “मम-मम”
बोले
भूख लगे चिल्लावे , रो ले
मातु यशोदा के सीने लग
चुप हो सो जाता नंदलाला
|
तुतली बोली , समझे मैया
रात-दिवस की ता ता थैया
जिद तो देखो अरे बाप रे
!
मांग रहा चंदा का हाला ||
इसको खींचे, उसको पटके
बड़े नाज-नखरे नटखट के
तुलमुल-तुलमुल करता
रहता
कैसे जाए इसे सम्हाला ||
पलभर में ही “मी” हो
जाता
पलभर में ही “खी” हो
जाता
उसका अपना शब्दकोश है
और व्याकरण मस्तीवाला ||
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्टमेंट, विजय नगर,
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
सुन्दर
ReplyDeleteआदरणीय ||
Bahut Pyari Rachna
ReplyDeleteआहा, क्या कविता है
ReplyDeleteसीधा-साधा
भोला-भाला
बहुत ही सुन्दर सरस प्यारी रचना,आभार.
ReplyDeleteवाह ,बहुत बेहतरीन सुंदर सरस बाल रचना !!! अरुण जी,,,बधाई
ReplyDeleteRECENT POST: जुल्म
प्याली प्याली लचना...
ReplyDelete:-)
सादर
अनु
बहुत ही सुन्दर सी प्यारी रचना...
ReplyDelete:-)
पलभर में ही “मी” हो जाता
ReplyDeleteपलभर में ही “खी” हो जाता
उसका अपना शब्दकोश है
और व्याकरण मस्तीवाला ||
...बहुत सुन्दर पंक्तियाँ....
लाजबाब शब्दों को पिरोये मनमोहक सुंदर बाल रचना !!!
ReplyDeleterecent post : भूल जाते है लोग,
बहुत प्यारी रचना...
ReplyDeletesunder rachna ravikar sir
ReplyDeleteगुज़ारिश : ''यादें याद आती हैं.....''
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार (10-04-2013) के "साहित्य खजाना" (चर्चा मंच-1210) पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
सूचनार्थ...सादर!
कितना सहज-सुन्दर, बच्चों की बातें पढ़ कर मन प्रफुल्ल हो गया!
ReplyDeleteकितनी मासूम सी सहज -सरल रचना ......
ReplyDeleteवाह ... जैसे सहज ली कह दिया हो सब कुछ ...
ReplyDeleteसुन्दर बाल रचना अरुण जी ...
ReplyDeleteसुंदर
आज कल इस व्याकरण का आनंद मैं भी उठा रही हूँ :):) बहुत प्यारी रचना ।
ReplyDeleteआदरणीय बहुत सुन्दर! एक बार फिर आनन्द आ गया आपकी रचना पढ़कर। आज शास्त्री जी के ब्लाॅग पर आपकी टिप्पणी देखी तो ज्ञात हुआ आपके ब्लाॅग के बारे में। आपके ब्लाॅग को फालो कर रहा हूं।
ReplyDeleteआशा है आपका आशीष मुझे प्राप्त होता रहेगा।
http://voice-brijesh.blogspot.com
अति सुन्दर ..
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