आज चले आये हो जैसे
वैसे ही तुम आते रहना
कभी देखना नजर मिला के
नजरें कभी झुकाते रहना.
मिलते जुलते रहने से ही
दिल की बातें हो जाती हैं
कभी हमारी सुन लेना तो
अपनी कभी सुनाते रहना.
सिर्फ तुम्हारा आ जाना ही
वीराने महका देता है
आते जाते वीरानों में
साथी फूल खिलाते रहना.
बिन नाते के इतना अच्छा
कैसे कोई लग सकता है
किसी जनम का रिश्ता होगा
यूँ ही इसे निभाते रहना.
(प्रेम गीत में भावों की आत्मीयता “तुम” से ही भली लगती है, आदरणीय अपने संदर्भ में इसे ‘आप’ समझें)
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)
yeh milna julna chalta rahe humari shubhkamna hai Arun ji bahut achcha likha hai ravikar ji ke aagaman par.
ReplyDeleteवाह!!
ReplyDeleteयह आत्मीयता बनी रहे...
शुभकामनाएँ..
अरुण जी,...बहुत बढ़िया,आत्मीयता भरी सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई
ReplyDeleteMY NEW POST...आज के नेता...
'तुम' में ही निकटता है ... और यहाँ आपके हर भाव में आत्मीयता है
ReplyDeleteआभार ।।
ReplyDeleteभटके अब भी वहीँ आत्मा ।
ReplyDeleteसरस भेंट मिति मधुर मिलन पर, स्नेही जन आभार।
सदा सिलसिला सम्यक सुहबत, पावन प्रीति पुकार ।
आत्मीयता भरी सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह ... ये आत्मीयता बनी रहे ...
ReplyDeleteलाजवाब प्रस्तुति है आपकी अरुण जी ...
बिन नाते के इतना अच्छा
ReplyDeleteकैसे कोई लग सकता है
किसी जनम का रिश्ता होगा
यूँ ही इसे निभाते रहना........खुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |
.
बहुत आत्मीयता का भाव भरा हुआ है इन पंक्तियों में ....सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भाव| धन्यवाद।
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति,आत्मीयता भरी प्रस्तुति
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भाव संयोजन के साथ खूबसूरत भावपूर्ण अभिव्यक्ति......
ReplyDeletemitra Ravikar ji ko samarpit sundar rachna ke liye badhai.
Deleteसुंदर , आत्मीयता भरे भाव....
ReplyDeleteसिर्फ तुम्हारा आ जाना ही
ReplyDeleteवीराने महका देता है
आते जाते वीरानों में
साथी फूल खिलाते रहना.
बिन नाते के इतना अच्छा
कैसे कोई लग सकता है
किसी जनम का रिश्ता होगा
यूँ ही इसे निभाते रहना.
बहुत ही सुंदर !
बहुत सुंदर ...आत्मीय भावों से परिपूर्ण...
ReplyDelete