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Thursday, February 23, 2012

रविकर जी का जबलपुर आगमन........


आज चले आये हो जैसे
वैसे ही तुम आते रहना
कभी देखना नजर मिला के
नजरें कभी झुकाते रहना.

मिलते जुलते रहने से ही
दिल की बातें हो जाती हैं
कभी हमारी सुन लेना तो
अपनी कभी सुनाते रहना.

सिर्फ तुम्हारा आ जाना ही
वीराने महका देता है
आते जाते वीरानों में
साथी फूल खिलाते रहना.

बिन नाते के इतना अच्छा
कैसे कोई लग सकता है
किसी जनम का रिश्ता होगा
यूँ ही इसे निभाते रहना.

(प्रेम गीत में भावों की आत्मीयता “तुम” से ही भली लगती है, आदरणीय अपने संदर्भ में इसे आप समझें

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)


18 comments:

  1. yeh milna julna chalta rahe humari shubhkamna hai Arun ji bahut achcha likha hai ravikar ji ke aagaman par.

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  2. वाह!!

    यह आत्मीयता बनी रहे...
    शुभकामनाएँ..

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  3. अरुण जी,...बहुत बढ़िया,आत्मीयता भरी सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई

    MY NEW POST...आज के नेता...

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  4. 'तुम' में ही निकटता है ... और यहाँ आपके हर भाव में आत्मीयता है

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  5. भटके अब भी वहीँ आत्मा ।

    सरस भेंट मिति मधुर मिलन पर, स्नेही जन आभार।

    सदा सिलसिला सम्यक सुहबत, पावन प्रीति पुकार ।

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  6. आत्मीयता भरी सुंदर प्रस्तुति

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  7. वाह ... ये आत्मीयता बनी रहे ...
    लाजवाब प्रस्तुति है आपकी अरुण जी ...

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  8. बिन नाते के इतना अच्छा
    कैसे कोई लग सकता है
    किसी जनम का रिश्ता होगा
    यूँ ही इसे निभाते रहना........खुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |
    .

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  9. बहुत आत्मीयता का भाव भरा हुआ है इन पंक्तियों में ....सुन्दर अभिव्यक्ति

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  10. बहुत ही सुन्दर भाव| धन्यवाद।

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  11. सुन्दर अभिव्यक्ति,आत्मीयता भरी प्रस्तुति

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  12. This comment has been removed by the author.

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  13. बहुत ही सुंदर भाव संयोजन के साथ खूबसूरत भावपूर्ण अभिव्यक्ति......

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  14. सुंदर , आत्मीयता भरे भाव....

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  15. सिर्फ तुम्हारा आ जाना ही
    वीराने महका देता है
    आते जाते वीरानों में
    साथी फूल खिलाते रहना.

    बिन नाते के इतना अच्छा
    कैसे कोई लग सकता है
    किसी जनम का रिश्ता होगा
    यूँ ही इसे निभाते रहना.

    बहुत ही सुंदर !

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  16. बहुत सुंदर ...आत्मीय भावों से परिपूर्ण...

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