कौन सा मौसम है आया
छोड़ता है संग साया.
ना कहीं अठखेलियाँ हैं
हर तरफ बेचैनियाँ हैं.
प्रेम झूठा , मीत झूठे
यूँ रहे अनुभव अनूठे.
टूटती जगती की माया
ना कोई अपना – पराया.
आप किसके वास्ते हैं
सबके अपने रास्ते हैं.
सुर मधुर बंसी के खोये
हम अकेले में ही रोये.
साथ किसने है निभाया
आईने ने मुँह चिढ़ाया.
वो जमाना अब कहाँ है
स्मृति का कारवाँ है
शोक का अहसास कम है
आँख हाँ थोड़ी सी नम है.
रास अब जीवन न आया
मृत्यु ने मन को लुभाया.
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)
वो जमाना अब कहाँ है
ReplyDeleteस्मृति का कारवाँ है
शोक का अहसास कम है
आँख हाँ थोड़ी सी नम है.
रास अब जीवन न आया
मृत्यु ने मन को लुभाया..... जी बिलकुल सही आज हर किसी की अपने-अपने रास्ते है....बेहतरीन अभिवयक्ति....
रास्ते तो सबके अपने अपने ही होते हैं , पर सहयात्री बन चल सकते हैं - न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो
ReplyDeleteआओ भाई बहुत समय हो गया गज़ल या गीत से जी नहीं भरता
ReplyDeleteआपके सानिध्य में सत्संग हो जाये .
वो जमाना अब कहाँ है
स्मृति का कारवाँ है
वो जमाना याद करें.आनंद आ गया अरुण
नकारात्मक सी कविता??
ReplyDeleteमगर गहरी सोच लिए..
सादर.
आप किसके वास्ते हैं
ReplyDeleteसबके अपने रास्ते हैं.
सुर मधुर बंसी के खोये
हम अकेले में ही रोये.
साथ किसने है निभाया
Achcha likha hai aapne, dhanyavaad
सीधे सीधे जीवन से जुड़ी रस कविता में नैराश्य कहीं नहीं दीखता।
ReplyDeleteजीवन का सच उकेरती पंक्तियाँ . व्यवहारिक सी लगीं
ReplyDeleteशोक का अहसास कम है
ReplyDeleteआँख हाँ थोड़ी सी नम है.
सच्चे एहसास!
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteईमानदार कवि-कर्म ही यही है कि अपने भोगे हुए सत्य के साथ-साथ अन्य के भी सत्यों में परकाया गमन कर कविता की रचना करते रहना .किसी ह्रदय के भाव को ह्रदय अवश्य ग्रहण करता है .हर किसी के मर्म को थोड़ा सहला देता है . मैं जरुरी नही समझती कि कवि किस भाव में रचना-कर्म करता है उसकी सफाई देनी पड़े..आपको पढ़ना अच्छा लगता है .
ReplyDeleteबेहतरीन और व्यावहारिक कविता
ReplyDeleteसादर
कल 07/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
हर उम्र के अनुभव अलग होते हैं जो कमोबेश सभी के साथ फिट होते हैं...
ReplyDeleteजीवन के इस पड़ाव के हिसाब से सही सार्थक प्रस्तुति|
आप किसके वास्ते हैं
ReplyDeleteसबके अपने रास्ते हैं.
सुर मधुर बंसी के खोये
हम अकेले में ही रोये.
साथ किसने है निभाया
आईने ने मुँह चिढ़ाया.
सार्थक प्रस्तुति
गुज़रा था आपकी कविता से पहले भी कभी,
ReplyDeleteआज फिर 'हलचल' हुई, और फिर दोहरा लिया
:)
वो जमाना अब कहाँ है
ReplyDeleteस्मृति का कारवाँ है
शोक का अहसास कम है
आँख हाँ थोड़ी सी नम है.
रास अब जीवन न आया
मृत्यु ने मन को लुभाया....वाह क्या बात कह दी?..बहुत ही सुन्दर रचना...
खूबसूरत प्रस्तुति पर बधाई ।
ReplyDeleteखूबसूरत प्रस्तुति पर बधाई ।
ReplyDeleteना कहीं अठखेलियाँ हैं
ReplyDeleteहर तरफ बेचैनियाँ हैं.
प्रेम झूठा , मीत झूठे
यूँ रहे अनुभव अनूठे.
टूटती जगती की माया
ना कोई अपना – पराया....
कुछ उदासी सी, कुछ आक्रोश सा है आज अरुण जी ... क्या बात है ...
भावों को शब्द दिए है ...
sach bhale hi ek hi raah ke raahgir hote hain ham sab lekin raste sabke alag-alag hi hote hain..
ReplyDelete..nirasha ke tam se upji badiya bhavavykti..
जीवन के सच को दर्शाती सार्थक एवं अतिसुंदर प्रस्तुति ......
ReplyDeleteसटीक और यथार्थ ..
ReplyDeletebehad bhaavpurn aur saarthak rachna.
ReplyDeleteआज लगभग हर व्यक्ति यही सब महसूस करता है ।
ReplyDeleteआप किसके वास्ते हैं
ReplyDeleteसबके अपने रास्ते हैं.
सुर मधुर बंसी के खोये
हम अकेले में ही रोये.
साथ किसने है निभाया
आईने ने मुँह चिढ़ाया.
hamesha ki tarah lajawaab sirji.. :)
mazaa aa gaya :)
सुंदर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteक्यूं उदासी रहे मनमें
बहुत कुछ अभी है जीवन में
आस को खोने ना देना
राह को पकडे ही रहना
छूट जाये असार माया
तब लगे जीवन को पाया ।
सच्चाई को आपने बड़े ही खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है! बहुत बढ़िया लगा!
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति बधाई ...
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति बधाई ...
ReplyDeleteसुंदर सार्थक अभिव्यक्ति ,भावपूर्ण बहुत अच्छी रचना
ReplyDeleteMY NEW POST...मेरे छोटे से आँगन में...
सुन्दर रचना है.
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति सुन्दर रचना.. बधाई ...
ReplyDeleteनिराश मन की अनुभूतियां आपके शब्दों के आश्रय में सांत्वना ढूंढ रही हैं।
ReplyDeleteअहसासों की बानगी...
ReplyDeleteगहरे अहसास की प्रस्तुति |
ReplyDeleteआशा