ठंडी का है मौसम छाया
हल्वा खाने मन ललचाया
बिट्टू लेकर गाजर आया
मम्मी से हल्वा बनवाया.
कद्दूकस में गाजर को किस
खोवा,दूध औ काजू किसमिस
पलभर में तैयार है हल्वा
बहुत खूब बिट्टू का जल्वा.
पापा जी जब हल्वा खाये
गुण गाजर के यूँ बतलाये
ए, बी, सी, डी, ई, जी और के
विटामिन ये सब गाजर के.
रक्त, नेत्र की ज्योत बढ़ाये
यह शक्ति का स्त्रोत बढ़ाये
कच्ची गाजर भी गुणकारी
दूर करे ये कई बीमारी.
पाचन तंत्र की करे सफाई
पेट के कीड़े मरते भाई
लाल और केसरिया रंग है
यह सलाद का प्रमुख अंग है.
इसमें होता बिटा कैरोटिन
कैंसर से जो बचाता हर छिन
कैल्सियम भी पाया जाता
जो हड्डी मजबूत बनाता.
दिल की धड़कन तेज हो जायें
गाजर थोड़ा भून के खायें
बवासीर, सूजन , दुर्बलता
पथरी का भी नाश ये करता.
पैक्टीन -फाइबर भी सम्मिलित
जो राखे कोलेस्ट्राल संतुलित
एंटी - आक्सीडेंट हितकारी
त्वचा सदा रहती सुकुमारी.
सर्दी आई , गाजर खाओ
खाओ और खिलाते जाओ
सेहत अपनी खूब बनाओ.
अपने मित्रों को बतलाओ.
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )
विजय नगर , जबलपुर ( मध्य प्रदेश )
मेरे लिये बचा कर रखना?
ReplyDeleteआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 12-12-2011 को सोमवारीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
ReplyDeleteबहुब खूब है गज़र हलवा
ReplyDeleteकविता में "अरुण" का जालवा.
बधाई
आपका ब्लॉग देखा..अभी कुछ कवितायेँ ही पढ़ी हैं...
ReplyDeleteदिल बाग बाग हो गया :-)
वाह! गाजर का हलवा...स्वादिष्ट भी और गुणकारी भी|
ReplyDeleteaha gajar...
ReplyDeletevery educative,nicely written
ReplyDeletecarrots were used as an ornament in europe by ladies,by putting small sized carrots in their hats.To get maximum antioXidents it should always be eaten after boiling or in juice form as their cellular structure is very hard
ReplyDeleteकविता बाल गीत के संग संग विज्ञान शिक्षण .बहुत खूब .
ReplyDeleteगाजर का गुणों का सुंदर बखान
ReplyDeleteआपकी हर पोस्ट बड़ी स्वादिष्ट होती है बहुत खूब अंदाज़ है आपके लिखने का ....:)समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका सवागत है
ReplyDeletehttp://mhare-anubhav.blogspot.com/2011/12/blog-post_12.html
http://aapki-pasand.blogspot.com/2011/12/blog-post_11.html
बहुत सुंदर...
ReplyDeleteगाजर खाने का मिला है ज्ञान
ReplyDeleteगाजर का किया है सुंदर बखान ,....बहुत बढिया...
मरी नई रचना,....
नेता,चोर,और तनखैया, सियासती भगवांन हो गए
अमरशहीद मात्रभूमि के, गुमनामी में आज खो गए,
भूलसे हमने शासन देडाला, सरे आम दु:शाशन को
हर चौराहा चीर हरन है, व्याकुल जनता राशन को,
sundar aur samjhati hui rachna
ReplyDeleteगाजर की तमाम खूबियों को उजागर कर दिया आपने अरुण जी ... पर जो स्वाद गाज़र के हलवे का सर्दियों एमिन वो किसी दूसरी चीज़ में कहाँ ... लाजवाब कविता है ...
ReplyDeleteयह तो सुन्दर शृंखला चल रही है अरुण भाई....
ReplyDeleteआनंद आ गया....
सादर बधाई...