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Sunday, April 29, 2012

जीवन हमारा यारों अभिनय हो गया


 
आजकल   ये  हमको संशय हो गया
कैंसर नहीं तो शायद ,  क्षय हो गया.

फूलों से चोट हाये !  जब से लगी हमें
काँटों की राह चलना ही तय हो गया.

जब से बताया उनको , हैरान से खड़े
कि वेदना और मुझमें  प्रणय हो गया.

अपने सभी यहाँ पे खाने को आमादा
यूँ  लग  रहा  है  मानो  प्रलय हो गया.

पशुओं में  ढूँढता हूँ  मैं इन दिनों दया
ये आदमी भी कितना निर्दय हो गया.

खुशियाँ  मनाइयेगा,अब धूमधाम से
पीड़ा से आज अपना परिणय हो गया.

हँसना ही पड़ रहा है ,  बात - बात पर
जीवन हमारा यारों अभिनय हो गया.

एक नजर इधर भी : सियानी गोठ   http://mitanigoth2.blogspot.com

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)

14 comments:

  1. खुशियाँ मनाइयेगा,अब धूमधाम से
    पीड़ा से आज अपना परिणय हो गया

    वाह.......
    या आह कहूँ....???

    बहुत बढ़िया अरुण जी.....

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  2. यह भी खूब रही.
    जो अभिनय करे उसकी बहुत मांग है,अरुण जी.
    फिर वह चाहे हो नेता या अभिनेता.

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  3. बहुत सुन्दर वाह!
    आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 30-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-865 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  4. जब से बताया उनको , हैरान से खड़े
    कि वेदना और मुझमें प्रणय हो गया......बहुत सुन्दर अरूण जी..प्रणय तो प्रणय़ है चाहे किसी से हो..?????

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  5. गहन ....दर्द छुपाती सी ...कोमल अभिव्यक्ति ...
    शुभकामनायें ...

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  6. पशुओं में ढूँढता हूँ मैं इन दिनों दया
    ये आदमी भी कितना निर्दय हो गया... किसको खबर थी , ऐसे भी दिन आयेंगे

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  7. अपने सभी यहाँ पे खाने को आमादा
    यूँ लग रहा है मानो प्रलय हो गया.
    बहुत सुंदर क्या बात हैं .....

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  8. अधिक व्यस्त था |

    सुन्दर प्रस्तुति |
    बधाई ||

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  9. प्रभावी रचना ...
    शुभकामनायें आपको !

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  10. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति यथार्थ बोध कराती,,,,,बधाईयाँ जी /

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  11. जीवन अभिनय हो गया । बहुत अच्छी प्रस्तुति ...

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  12. खुशियाँ मनाइयेगा,अब धूमधाम से
    पीड़ा से आज अपना परिणय हो गया.
    कमाल का लिखा है आपने बेहद उम्दा प्रभावशाली रचना समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है।

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  13. पशुओं में ढूँढता हूँ मैं इन दिनों दया
    ये आदमी भी कितना निर्दय हो गया.

    क्या सुंदर व्यंग समाज के ताज़ा हालात पर. बधाई.

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  14. कवीता की कोमलता के साथ आज की मानवीय स्थिति के दर्द को सुन्दर ढंग से चित्रित किया है इतने गहरे सोच के भाव एक भावुक ह्रदय ही दे सकता है बहुत अच्छी लगी आपकी ये कविता

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