दोहे में यमक -
"लो कल" के अनुरोध पर, "लोकल" ही उत्पाद।
अपनाकर दिल से करें, गाँधी जी की याद।।
"वोकल" से तारीफ कर, सुन "वो कल" की बात।
गृह-कुटीर उद्योग ही, बदलेंगे हालात।।
"खादी" "खा दी" थी कभी, सभी विदेशी वस्त्र।
जीती अर्थ-लड़ाइयाँ, बिना उठाए शस्त्र।।
- अरुण कुमार निगम
"लो कल" के अनुरोध पर, "लोकल" ही उत्पाद।
अपनाकर दिल से करें, गाँधी जी की याद।।
"वोकल" से तारीफ कर, सुन "वो कल" की बात।
गृह-कुटीर उद्योग ही, बदलेंगे हालात।।
"खादी" "खा दी" थी कभी, सभी विदेशी वस्त्र।
जीती अर्थ-लड़ाइयाँ, बिना उठाए शस्त्र।।
- अरुण कुमार निगम
यमक के सुन्दर दोहे
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