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Thursday, November 27, 2014

अच्छे दिन –



पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं
क्या होते हैं चाँद सरीखे, या फूलों जैसे होते हैं.

बेटा ! दिन तो दिन होते हैं ,गिनती के पल-छिन होते हैं
अच्छे बीतें तो सुखमय हैं, वरना ये दुर्दिन होते हैं.

पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं
क्या होते हैं दूध-मलाई , या माखन जैसे होते हैं.

मंचों से मैं सुनते आया, स्वप्न सजीले बुनते आया
लेकिन देखे नहीं आज तक, अच्छे दिन कैसे होते हैं

पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं
क्या होते हैं गुड़ियों जैसे , या परियों जैसे होते हैं.

गलियारों में रहा छानता , चौबारों में खोज चुका हूँ
अखबारों में ढूँढ रहा हूँ , अच्छे दिन कैसे होते हैं

पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं
क्या होते हैं बरफी जैसे, या मिसरी जैसे होते हैं.

मेरे दादा बतलाते थे , उनको पुरखों ने बतलाया
बेटे अच्छे दिन तो बिल्कुल, रामराज जैसे होते हैं.

पापा पापा बतलाओ ना, रामराज कैसे आएगा
बेटा ! उस दिन ही आएगा, जब हर रावण मर जाएगा .


अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (29-11-2014) को "अच्छे दिन कैसे होते हैं?" (चर्चा-1812) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बेटा ! दिन तो दिन होते हैं ,गिनती के पल-छिन होते हैं
    अच्छे बीतें तो सुखमय हैं, वरना ये दुर्दिन होते हैं.
    मेरे दादा बतलाते थे , उनको पुरखों ने बतलाया
    बेटे अच्छे दिन तो बिल्कुल, रामराज जैसे होते हैं.
    ..वाह! बहुत सुन्दर ....

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  3. बेटा आपुनि आप कू, समुझ बाप का बाप ।
    आँख देखाए धुकियाए , अनरगल किए अलाप ।२०६८ ।

    भावार्थ : - यह कलयुग का दुष्प्रभाव है कि बीटा अपनेप को बाप का भी बाप समझकर आँख दिखा के धक्का देता है और अनर्गल अलाप भी करता है ॥

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  4. राम राज वाले अच्छे दिन बेटा जी जल्दी आयेंगे,
    जब हर लाल आप के जैसा, राम लला से बन जायेंगे।

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