पापा
पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं
क्या
होते हैं चाँद सरीखे, या फूलों जैसे होते हैं.
बेटा
! दिन तो दिन होते हैं ,गिनती के पल-छिन होते हैं
अच्छे
बीतें तो सुखमय हैं, वरना ये दुर्दिन होते हैं.
पापा
पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं
क्या
होते हैं दूध-मलाई , या माखन जैसे होते हैं.
मंचों
से मैं सुनते आया, स्वप्न सजीले बुनते आया
लेकिन
देखे नहीं आज तक, अच्छे दिन कैसे होते हैं
पापा
पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं
क्या
होते हैं गुड़ियों जैसे , या परियों जैसे होते हैं.
गलियारों
में रहा छानता , चौबारों में खोज चुका हूँ
अखबारों
में ढूँढ रहा हूँ , अच्छे दिन कैसे होते हैं
पापा
पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं
क्या
होते हैं बरफी जैसे, या मिसरी जैसे होते हैं.
मेरे
दादा बतलाते थे , उनको पुरखों ने बतलाया
बेटे
अच्छे दिन तो बिल्कुल, रामराज जैसे होते हैं.
पापा
पापा बतलाओ ना, रामराज कैसे आएगा
बेटा
! उस दिन ही आएगा, जब हर रावण मर जाएगा .
अरुण
कुमार निगम
आदित्य
नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (29-11-2014) को "अच्छे दिन कैसे होते हैं?" (चर्चा-1812) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बेटा ! दिन तो दिन होते हैं ,गिनती के पल-छिन होते हैं
ReplyDeleteअच्छे बीतें तो सुखमय हैं, वरना ये दुर्दिन होते हैं.
मेरे दादा बतलाते थे , उनको पुरखों ने बतलाया
बेटे अच्छे दिन तो बिल्कुल, रामराज जैसे होते हैं.
..वाह! बहुत सुन्दर ....
बेटा आपुनि आप कू, समुझ बाप का बाप ।
ReplyDeleteआँख देखाए धुकियाए , अनरगल किए अलाप ।२०६८ ।
भावार्थ : - यह कलयुग का दुष्प्रभाव है कि बीटा अपनेप को बाप का भी बाप समझकर आँख दिखा के धक्का देता है और अनर्गल अलाप भी करता है ॥
राम राज वाले अच्छे दिन बेटा जी जल्दी आयेंगे,
ReplyDeleteजब हर लाल आप के जैसा, राम लला से बन जायेंगे।