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Friday, October 17, 2014

सत्यमेव जयते -



सत्यमेव जयते -

सत्य ब्रह्म  है  सत्य ईश है , शेष सभी को मिथ्या जान
परम आत्मा चाहे कह लो , या  कह लो  इसको भगवान
सतयुग त्रेता  द्वापर कलियुग , जितने भी युग जायें बीत
अटल सत्य था अटल सत्य है सदा सत्य की होती जीत

कभी साँच को आँच नहीं है , सोलह आने सच्ची बात
झूठा सच को साबित कर दे,भला किसी की है औकात
सत्य वचन जो भी कहता है, सदा चले वह सीना तान
नज़र मिलाने से कतराता , झूठ  कहे  जो  भी इंसान

दिल सच्चा औ’ चेहरा झूठा, मन ही मन माने इंसान
झूठ मुखौटा-दुनियादारी, सच है बच्चे की मुस्कान
जीते जी तो सकल कर्म कर , चाहे भोगे भौतिक भोग
राम नाम सत् हैकहके ही ,विदा करें दुनिया से लोग

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग [छत्तीसगढ़]

6 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (18-10-2014) को आदमी की तरह (चर्चा मंच 1770) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत सुंदर
    आज हिंदी ब्लॉग समूह फिर से चालू हो गया आप सभी से विनती है की कृपया आप सभी पधारें

    शनिवार- 18/10/2014 नेत्रदान करना क्यों जरूरी है
    हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः35

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  3. जीते जी तो सकल कर्म कर , चाहे भोगे भौतिक भोग
    “राम नाम सत् है”कहके ही ,विदा करें दुनिया से लोग

    यही शाश्वत और एकमात्र सत्य है।


    दीपावली की अशेष शुभकामनाएं !

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