सत्यमेव जयते -
सत्य ब्रह्म है सत्य ईश है
, शेष सभी को मिथ्या जान
परम आत्मा चाहे कह लो , या
कह लो इसको भगवान
सतयुग त्रेता द्वापर
कलियुग , जितने भी युग जायें बीत
अटल सत्य था अटल सत्य है सदा सत्य की होती जीत
कभी साँच को आँच नहीं है , सोलह आने सच्ची बात
झूठा सच को साबित कर दे,भला किसी की है औकात
सत्य वचन जो भी कहता है, सदा चले वह सीना तान
नज़र मिलाने से कतराता , झूठ
कहे जो भी इंसान
दिल सच्चा औ’ चेहरा झूठा, मन ही मन
माने इंसान
“झूठ” मुखौटा-दुनियादारी,
“सच” है
बच्चे की मुस्कान
जीते जी तो सकल कर्म कर , चाहे
भोगे भौतिक भोग
“राम
नाम सत् है”कहके
ही ,विदा करें दुनिया से लोग
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग [छत्तीसगढ़]
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (18-10-2014) को आदमी की तरह (चर्चा मंच 1770) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर
ReplyDeleteआज हिंदी ब्लॉग समूह फिर से चालू हो गया आप सभी से विनती है की कृपया आप सभी पधारें
शनिवार- 18/10/2014 नेत्रदान करना क्यों जरूरी है
हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः35
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बढियाँ
ReplyDeleteजीते जी तो सकल कर्म कर , चाहे भोगे भौतिक भोग
ReplyDelete“राम नाम सत् है”कहके ही ,विदा करें दुनिया से लोग
यही शाश्वत और एकमात्र सत्य है।
दीपावली की अशेष शुभकामनाएं !