ग़ज़ल पर एक प्रयास -
आप कितने बड़े हो गए हैं
वाह चिकने घड़े हो गए हैं
वाह चिकने घड़े हो गए हैं
पाँव पड़ते नहीं हैं जमीं पे
कहते फिरते, खड़े हो गए हैं
कहते फिरते, खड़े हो गए हैं
दिल धड़कता कहाँ है बदन में
हीरे मोती जड़े हो गए हैं
हीरे मोती जड़े हो गए हैं
पत्थरों की हवेली बनाकर
पत्थरों से कड़े हो गए हैं
पत्थरों से कड़े हो गए हैं
शान शौकत नवाबों सरीखी
फिर भी क्यों चिड़चिड़े हो गए हैं ।
फिर भी क्यों चिड़चिड़े हो गए हैं ।
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)