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"प्रॉमिज़-डे" का "प्रॉमिज़"
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"प्रॉमिज़-डे" पर "डे" का "प्रॉमिज़"
"लंच-ब्रेक" में "ब्रेक" हुआ।
प्यार-मोहब्बत की गाड़ी का,
"फ्रण्ट-ग्लास" ही "क्रेक" हुआ।।
"एक्सीडेंट" भी "एक्सीलेन्ट" था,
आशिक़, शायर बन बैठा।
"प्रेम-फरारी" का बेचारा,
"पंचर-टायर" बन बैठा।।
"हनी सिंग" को गाने वाला
अब "सहगल" को गाता है।
आँखों में "रैनी-सीजन" है
यदा-कदा मुस्काता है।।
"वेलेन्टाइन" के "प्रॉमिज़" से
"प्रॉमिज़-पेस्ट" ही अच्छा है।
"दाँत नहीं टूटेंगे" - "प्रॉमिज़",
यही मित्र इक सच्चा है।।
"चमक उठेंगे दाँत" - "गारण्टी"
जीवन भर मुस्काओगे।
"प्रॉमिज़" करो वेलेंटाइन के,
चक्कर में ना आओगे।।
रचनाकार - अरुण कुमार निगम
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आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13.02.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3610 में दिया जाएगा । आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी ।
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क