ROSE DAY पर एक रचना
मेरे गीतों में गुलाबों की महक पाओगे
रोज़ डे तुम तो मनाना ही भूल जाओगे ।
खार की कुछ तो चुभन हाँ ! तुम्हें सहनी होगी
बाद में तुम भी गुलाबों से खिलखिलाओगे ।
साथ पूरब के रहो आसमाँ पे दमकोगे
राह पश्चिम की धरे, तय है डूब जाओगे ।
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग
(हमारे आँगन का गुलाब)
वाह!!!
ReplyDeleteक्या बात....
बहुत सुन्दर
बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया गुरुदेव वाहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्
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