(चित्र गूगल से साभार)
मंडी की छत पर चढ़ा , मंद-मंद मुस्काय
ढाई आखर प्याज का, सबको रहा रुलाय ||
प्यार जताना बाद में , ओ मेरे सरताज
पहले लेकर आइये, मेरी खातिर प्याज ||
बदल गये हैं देखिये
, गोरी के अंदाज
भाव दिखाये इस तरह ,ज्यों दिखलाये प्याज ||
तरकारी बिन प्याज की, ज्यों विधवा की मांग
दीवाली बिन दीप
की या होली
बिन भांग ||
महँगाई के दौर में ,हो सजनी नाराज
साजन जी ले आइये, झटपट थोड़े प्याज ||
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्टमेंट, विजय नगर,
जबलपुर (मध्यप्रदेश)