(चित्र गूगल से साभार)
छंद
मरहठा – 10, 8, 11 मात्राओं पर यति देकर कुल 29 मात्रायें | अंत
में गुरु, लघु |
जल मलिन न करियो, सदा सुमरियो, बात लीजियो मान |
यह है गंगाजल , रखियो निर्मल , इसमें जग के
प्रान ||
जल है तो कल है , यदि निर्मल है , इसे अमिय सम जान |
अनमोल धरोहर , इसमें
ईश्वर , यह
है ब्रह्म समान ||
अपशिष्ट बहा मत , व्यर्थ गँवा मत , सँभल अरे
नादान |
तेरी नादानी , मूरख प्रानी
,
भुगतेगी संतान ||
जल संरक्षित
कर , वृक्ष
लगा घर , कर ले काम महान |
जल वन बिन भुइयाँ , सारी दुनियाँ , बने नहीं शमशान ||
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्टमेंट, विजय नगर,
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
अति सुन्दर आह्वान..
ReplyDeleteजल है तो है कल सखे, जल बिन कुल जल जाय |
ReplyDeleteकल बढ़ते कल-कल घटे, कल-बल कलकलियाय |
कल-बल कलकलियाय, खफा कुदरत हो जाती |
कुल कलई खुल जाय, हकीकत जीवन खाती |
मनु-जल्पक जा चेत, यही जल तो सम्बल है |
जलसा है तब तलक, शुद्ध जब तक यह जल है ||
कल=कल-कारखाना
कल-बल=दांव-पेंच
कलकलियाय = क्रोध बढाए
जल्पक=बकवादी
सुंदर , अर्थपूर्ण पंक्तियाँ
ReplyDeleteसुन्दर सन्देश देती समसामयिक रचना !
ReplyDeleteआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥
ReplyDeleteप्यारा सन्देश और बहुत ही प्यारे दोहे.
ReplyDeleteसार्थक संदेश देती सुन्दर रचना..
ReplyDeleteसार्थक संदेश देती बहुत ही सुन्दर और सामयिक रचना.
ReplyDeleteवेद अनुसार : -- "पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम"
ReplyDeleteअर्थात पृथ्वी में तीन ही रत्न वास्तविक हैं : -- जल, अन्न एवं सुविचार.....
सुंदर सन्देश sir
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...आभार!
ReplyDeleteआपकी पोस्ट 21 - 03- 2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें ।
बेह्तरीन अभिव्यक्ति .शुभकामनायें.
ReplyDeleteसार्थक संदेश देती रचना
ReplyDeleteलाजबाब सार्थक छंद, छंद मरहठा का नाम पहली बार सूना अरुण जी बधाई,,,
ReplyDeleteRecentPOST: रंगों के दोहे ,
अपशिष्ट बहा मत , व्यर्थ गँवा मत , सँभल अरे नादान |
ReplyDeleteतेरी नादानी , मूरख प्रानी , भुगतेगी संतान ||
बहुत सुन्दर ...
पधारें "चाँद से करती हूँ बातें "