(चित्र गूगल से साभार)
ग्यारह दिन “गणपति” “गणराजा”
आकर मोरी कुटिया विराजा.
सुबह – साँझ नित आरती पूजा
“गणपति” सम कोई देव न दूजा.
तन, मन,धन से
सेवा भक्ति
जिसने भी की पाई शक्ति.
मस्तक बड़ा – बुद्धि परिचायक
मुख-मुद्रा अति आनंददायक .
बड़े कान हैं सुनते सबकी
दु:ख – पीड़ाएँ हरते सबकी.
“मोदक प्रिय” का उदर विशाला
कहे - सभी की बातें पचा जा.
सूँड़ कहे - नाक रखो ऊँची
मान करेगी सृष्टि
समूची.
“वक्रतुंड”, सिंह-वाहन धारे
ईर्ष्या-जलन,मत्सरासुर
मारे.
परशुराम जी से युद्ध में टूटा
एक दाँत का साथ था छूटा.
“एकदंत”
तब ही से कहाये
नशारूपी मदासुर को मिटाये.
बड़े पेट वाले हे ! “महोदर”
मोहासुर राक्षस का किया क्षर.
गज- सा मुख “गजानन” कहाये
लोभासुर को आप मिटाये.
लम्बा पेट ”लम्बोदर” न्यारे
राक्षस क्रोधासुर संहारे.
“विकट” रूप
मयूर पर बैठे
कामासुर का अंत कर बैठे.
“विघ्न राज” जी विघन विनाशे
शेषनाग वाहन पर विराजे.
“धूम्रवर्ण” मूषक पर प्यारे
अभिमानासुर को संहारे.
ज्ञान – बुद्धि अउ आनंददायक
जय जय जय हो “अष्ट विनायक”.
आज विसर्जन की घड़ी आई.
हुआ हवन अब झाँकी सजाई.
मूरत जाये ,प्रभु
नहीं जाना
तुम भक्तों के हृदय समाना.
बहुत जरूरी अगर है जाना
अगले बरस प्रभु जल्दी आना.
श्रीमती सपना निगम
आदित्य नगर, दुर्ग
छत्तीसगढ़.
भक्तिमयी सुन्दर अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteगणपति बप्पा मोरिया
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गणेश भगवान के बारे में
बहुत सी जानकारी समाहित कर श्रद्धापूर्ण प्रस्तुति
बहुत बढ़िया चौपाई है
गणपति पर बहुत सुंदर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर स्तुति
ReplyDeleteलम्बोदर सबके विघ्न हरे !
ReplyDeleteजय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ।
ReplyDeleteगणपती के सभी नामों से सुसजित भक्तिमय प्रस्तुति ...गणपती बप्पा मोरया मंगल मूर्ति मोरया...
ReplyDeleteबहुत जरूरी अगर है जाना
ReplyDeleteअगले बरस प्रभु जल्दी आना.,,,,
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ।
गणपती बप्पा मोरया मंगल मूर्ति मोरया...
पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब
ReplyDeleteबेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको
और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.