मेथी की कड़ुवाहट मीठी
मन को भाती , खूब सुहाती
मन को भाती , खूब सुहाती
कब्ज मिटाती , भूख बढ़ाती
गुणकारी मेथी की भाजी.
गरमागरम पराठे मेथी
के, चटनी संग जो भी खाए
हाथ फेर कर पेट के ऊपर
“मजा आ गया” - कह सहराए.
पतिदेव रूठे - रूठे हों
इस नुस्खे को भी अजमाएँ
गरमागरम पराठे मेथी
के, चटनी संग खूब खिलाएँ.
प्यार , पराठे संग परोसें
प्यार करेगा जीवनसाथी
मेथी की कड़ुवाहट मीठी
गुणकारी मेथी की भाजी.
फास्ट-फूड में क्या रखा है
परम्परागत भोजन अच्छा
बच्चों को समझाएँ – प्यारे
अच्छा स्वास्थ्य ही धन है सच्चा.
कुदरत की नेमत है मेथी
औषधीय भी, व्यंजन भी है
जो कुदरत के साथ चला है
इस दुनियाँ में वही सुखी है.
रविवार है हाट में जाओ
लेकर आओ ताजी – ताजी
मेथी की कड़ुवाहट मीठी
गुणकारी मेथी की भाजी.
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )
विजय नगर , जबलपुर ( मध्य प्रदेश )
बेहतरीन लिखा है, हम भी चलते है
ReplyDeleteगरमागरम पराठे मेथी
ReplyDeleteके, चटनी संग जो भी खाए
हाथ फेर कर पेट के ऊपर
“मजा आ गया” - कह सहराए........मजा आ गया”
मेथी के पराठें खाने का मन हो आया...:)
ReplyDeleteमेथी की कड़ुवाहट मीठी
ReplyDeleteगुणकारी मेथी की भाजी.
बहुत सही लिखे हैं सर!
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कल 28/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत सच कहा है...मैथी की बनी हुई किसी चीज का ज़वाब नहीं..
ReplyDeleteमेथी महिमा अच्छी लगी!
ReplyDeleteसामयिक और सार्थक प्रस्तुति, आभार.
ReplyDeleteनये अंदाज़ के साथ आपने बहुत सुन्दर कविता लिखा है! मुझे मेथी के पराठे बेहद पसंद है! आपकी कविता पढ़ने के बाद मेथी के पराठे खाने का मन कर रहा है और कल नाश्ते में बनाने के लिए तय किया है!
ReplyDeleteबहुत खूब ... मेथी के परांठे ..क्या बात है ...
ReplyDeleteवाह भाई वाह |
ReplyDeleteखा के मजा आ गया ||
बधाई ||
खा कर अच्छा लगा ||
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteबहुत खूब . मेथी के परांठे बहुत अच्छे लगे..
ReplyDeleteवाह!मेथी पर इतनी अच्छी कविता हो सकती है, कभी सोचा भी न था।
ReplyDeleteपतिदेव को मनाने का नायाब तरीका खोजा है |
ReplyDeleteआशा
सर्दी और मैथी का स्वाद वाह ....
ReplyDeleteवाह ... बहुत खूब ।
ReplyDeleteमेथी -महिमा पढकर मेथी का पराठा खाने का सोच लिया है हमने ..वो भी चटनी के साथ
ReplyDeleteबहुत खूब,मेथी की महिमा-महान.स्वाद आ गया.
ReplyDeleteअरुण जी,...
ReplyDeleteनए अंदाज में लिखी खुबशुरत रचना,
ठण्ड में मेथी के पराठे वो भी चटपटी
चटनी के साथ,.बेहतरीन जी...
मेरे पोस्ट 'शब्द'में आपका इंतजार है,....
गरमागरम पराठे मेथी
ReplyDeleteके, चटनी संग खूब खिलाएँ.
वाह! आदरणीय अरुण भईया... बढ़िया
भूख लग आई...
सादर..
मेथी अंकुरित कर खाये / कड़वा स्वाद भूल जायें
ReplyDelete@ शरद कोकास has left a new comment on your post "मेथी की भाजी........":
ReplyDeleteमेथी अंकुरित कर खाये / कड़वा स्वाद भूल जायें
@@ मन के - मनके has left a new comment on your post "मेथी की भाजी........":
ReplyDeleteबहुत खूब,मेथी की महिमा-महान.स्वाद आ गया.
वाहा मज़ा आगया आपकी यह रचना पढ़कर और मेथी कि भाजी भी याद आ गई जो मुझे बहुत पसंद है। :-) बहुत ही लज़्ज़त दार और बहुत ही बढ़िया संदेश देती पोस्ट शुभकामनायें ...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है।
ReplyDeletehttp://mhare-anubhav.blogspot.com/
@@@ Pallavi has left a new comment on your post "मेथी की भाजी........":
ReplyDeleteवाहा मज़ा आगया आपकी यह रचना पढ़कर और मेथी कि भाजी भी याद आ गई जो मुझे बहुत पसंद है। :-) बहुत ही लज़्ज़त दार और बहुत ही बढ़िया संदेश देती पोस्ट शुभकामनायें ...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है।
http://mhare-anubhav.blogspot.com/
वाह मज़ा आ गया ...
ReplyDelete@@@@ Manav Mehta has left a new comment on your post "मेथी की भाजी........":
ReplyDeleteवाह मज़ा आ गया ...
कम्माल की प्रस्तुति है आपकी.
ReplyDeleteमेथी का अति सुन्दर गुणगान किया है आपने.
प्रसन्न हो गया है मन मेरा.
मेथी के पराठों की याद क्यों करा दी आपने अरुण जी ... उफ्फ सर्दी और मेथी के परांठे ... और ये लाजवाब कविता ...
ReplyDeleteकविता पढ़ ली आपकी, पर इतना और बताएं,
ReplyDeleteमेथी के व्यंजन की विधियाँ, हम किस स्रोत से पाएं