Followers

Monday, May 13, 2019

"छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी - आरती गीत"

गीतकार - अरुण कुमार निगम, 

छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी, पइयाँ लागँव तोर
पइयाँ लागँव तोर ओ दाई, पइयाँ लागँव तोर 

तहीं आस अस्मिता हमर अउ, तहीं आस पहिचान
आखर अरथ सबद के दे दे, तँय  मोला वरदान।।
खोर गली मा छत्तीसगढ़ के, महिमा गावँव तोर…
पइयाँ लागँव तोर ओ दाई पइयाँ लागँव तोर 

एक हाथ हे हँसिया बाली, दूसर दे वरदान
तीसर हाथ धरे हे पोथी, चौथा देवै ज्ञान।।
पढ़े लिखे बोले बर दाई, चरन पखारँव तोर...
पइयाँ लागँव तोर ओ दाई पइयाँ लागँव तोर

करमा सुआ ददरिया पंथी, गौरा-गौरी फाग
पंडवानी भरथरी तोर बिनकब, कइसे पावै राग।।
छमछम नाचँव राउत नाचा, दोहा पारँव तोर...
पइयाँ लागँव तोर ओ दाई पइयाँ लागँव तोर

कभू दानलीला रचवाये, कभू सियानी गोठ
मस्तुरिया के अन्तस बइठे, करे गीत ला पोठ।।
महूँ रात-दिन सेवा करहूँ, बेटा आवँव तोर
पइयाँ लागँव तोर ओ दाई पइयाँ लागँव तोर

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग
छत्तीसगढ़

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (14-05-2019) को "लुटा हुआ ये शहर है" (चर्चा अंक- 3334) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete