Followers

Wednesday, August 29, 2018

कुण्डलिया छन्द - हॉकी

हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन, विश्व खेल दिवस पर.....शत-शत नमन

हॉकी

हाकी कल पहचान थी, आज हुई गुमनाम
खेल स्वदेशी खो गये , सिर चढ़ बैठा दाम
सिर चढ़  बैठा  दाम , शुरू  अब सट्टेबाजी
लाखों लाख कमायँ,नहीं भरता उनका जी
कलुषित है माहौल , कहाँ  सच्चाई बाकी
करें पुन: शुरुवात, उठा हम अपनी हाकी ||

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)

3 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 30.8.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3079 में दिया जाएगा

    हार्दिक धन्यवाद

    ReplyDelete
  2. यही हाल अब कबड्डी का होने वाला है !

    ReplyDelete