पापा
पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं
क्या
होते हैं चाँद सरीखे, या फूलों जैसे होते हैं.
बेटा
! दिन तो दिन होते हैं ,गिनती के पल-छिन होते हैं
अच्छे
बीतें तो सुखमय हैं, वरना ये दुर्दिन होते हैं.
पापा
पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं
क्या
होते हैं दूध-मलाई , या माखन जैसे होते हैं.
मंचों
से मैं सुनते आया, स्वप्न सजीले बुनते आया
लेकिन
देखे नहीं आज तक, अच्छे दिन कैसे होते हैं
पापा
पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं
क्या
होते हैं गुड़ियों जैसे , या परियों जैसे होते हैं.
गलियारों
में रहा छानता , चौबारों में खोज चुका हूँ
अखबारों
में ढूँढ रहा हूँ , अच्छे दिन कैसे होते हैं
पापा
पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं
क्या
होते हैं बरफी जैसे, या मिसरी जैसे होते हैं.
मेरे
दादा बतलाते थे , उनको पुरखों ने बतलाया
बेटे
अच्छे दिन तो बिल्कुल, रामराज जैसे होते हैं.
पापा
पापा बतलाओ ना, रामराज कैसे आएगा
बेटा
! उस दिन ही आएगा, जब हर रावण मर जाएगा .
अरुण
कुमार निगम
आदित्य
नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)