सोच बदलेगी न जब तक.........
संस्कारों की कमी से , मनचले होते रहेंगे
कुछ न बदलेगा जहां में , हादसे होते रहेंगे.
दोष इसका दोष उसका मूल बातें गौण सारी
तालियाँ जब तक बजेंगी , चोंचले होते रहेंगे
मौन धरने उग्र रैली , जल बुझेगी मोमबत्ती
आड़ में कुछ बाड़ में कुछ सामने होते रहेंगे
आबकारी लाभकारी लाडला सुत है कमाऊ
और भी तो रास्ते हैं , फायदे होते रहेंगे
ये गवाही वो गवाही, है बहुत ही चाल धीमी
जानता है हर दरिंदा , फैसले होते रहेंगे
अश्क हैं घड़ियाल जैसे दाँत हाथी की तरह दो
रंग गिरगिट सा बदलते वो हरे होते रहेंगे
ठोस दावे ठोस वादे, ढोल-सी आवाज इनकी
सोच बदलेगी न जब तक,खोखले होते रहेंगे
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
आज 09 /जुलाई /2014 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in (कुलदीप जी की प्रस्तुति में ) पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
कडवे सच को आपने बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया आपने। बढ़िया
ReplyDeleteआपकी ग़ज़ल में कडवी सच्चाई है, संस्कार के बिना समाज का उत्थान नही हो सकता। सादर धन्यबाद।
ReplyDeleteये गवाही वो गवाही, है बहुत ही चाल धीमी
ReplyDeleteजानता है हर दरिंदा , फैसले होते रहेंगे ..
हर शेर कुछ न कुछ सच की बयानी ही कर रहा है ... लाजवाब ग़ज़ल है अरुण जी ...
लाजवाब......
ReplyDeleteUmdaa rachna... Vyang kasti gazal... Beshak behad lajawaaab .....
ReplyDeleteये गवाही वो गवाही, है बहुत ही चाल धीमी
ReplyDeleteजानता है हर दरिंदा , फैसले होते रहेंगे
....वाह...बहुत उम्दा प्रस्तुति...हरेक शेर गहन अर्थ समाये हुए...
मौन धरने उग्र रैली , जल बुझेगी मोमबत्ती
ReplyDeleteआड़ में कुछ बाड़ में कुछ सामने होते रहेंगे
बहुत खूब निगम साहब बेहतरीन
वाह...बहुत उम्दा प्रस्तुति..
ReplyDeleteसमाज और सरकार को आईना दिखाता हर शेर लाजवाब है
ReplyDeleteमर्यादित कलम का मर्यादित कटाक्ष.... बहुत खूब