(चित्र गूगल से साभार)
कुण्डलिया छंद
मानव ने छेड़ा इसे , भुगत रहे हैं
आज
अब मौसम का देखिए,बिगड़ा हुआ मिजाज
बिगड़ा हुआ मिजाज , संतुलन इसने खोया
कहीं बरसती आग , बाढ़ ने कहीं डुबोया
झूमा मद में चूर , हाय बन बैठा दानव
दोहन से आ बाज , सँभल जा अब भी मानव ||
अरुण
कुमार निगम
आदित्य
नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्रीअपार्टमेंट,विजय नगर, जबलपुर (मध्य प्रदेश)
आदरणीय गुरुदेव श्री सादर प्रणाम पर्यावरण दिवस पर सुन्दर शिक्षाप्रद एवं लाजवाब कुण्डलिया छंद प्रस्तुत किया है आपने, मानव वाकई दानव बन गया है गुरुदेव श्री सत्यता को सुन्दरता से परिभाषित किया है आपने, ढेरों बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteएक लम्बे ब्रेक के बाद कुछ कोशिश की है आपकी खूबसूरत कुण्डलियाँ पर टिप्पणी करने की-
ReplyDeleteशुभकामनायें-
खेड़ा का बेड़ा गरक, फरक करे सरकार |
छेड़ा भेड़ाचाल से, जन अस्तित्व नकार |
जन अस्तित्व नकार, कौड़ियों में आवंटन |
करके भ्रष्टाचार, करें संसद में मंथन |
मंथन-विष पी आम, ख़ास खा अमृत पेड़ा |
जल बिन जले जमीन, मीन मर करे बखेड़ा ||
:)
Deletebahut sundar srijan sir ......sabdon ke tamache insaan ko jo ab insaan naa raha
ReplyDeletesundar rachna .....wada apne hisse ki kudrat ko sawarne ka
आपकी यह पोस्ट आज के (०५ जून, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
ReplyDeleteपर्यावरण पर सुन्दर कुण्डलियाँ
ReplyDeletelatest post मंत्री बनू मैं
LATEST POSTअनुभूति : विविधा ३
पर्यावरण दिवस पर सुन्दर रचना प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteघुइसरनाथ धाम - जहाँ मन्नत पूरी होने पर बाँधे जाते हैं घंटे।
पर्यावरण दिवस पर बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ ...
ReplyDeleteआपकी यह रचना कल बृहस्पतिवार (06 -06-2013) को ब्लॉग प्रसारण के "विशेष रचना कोना" पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteवाह!! बहुत ही सुंदर एवं सार्थक रचना ...
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
ReplyDeleteकृपया पधारें
शानदार,पर्यावरण पर बहुत ही उम्दा प्रस्तुति,,,बधाई
ReplyDeleteRECENT POST: हमने गजल पढी, (150 वीं पोस्ट )
अच्छा है..
ReplyDeleteभाई अरुण आपकी ये कुण्डली ज्योतिष विधा से लिखी गई लग रही है
ReplyDeleteपर्यावरण के विनाश का परिणाम १६ जून को सारी दुनिया ने देख लिया है
वाह!! बहुत ही सुंदर एवं सार्थक रचना
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