(चित्र गूगल से साभार)
तत्व एक शैतान-सा
अनगढ़ मिट्टी से मिली
, भोली-भाली शक्ल
तत्व एक शैतान -सा , कहते जिसको
अक्ल
कहते जिसको अक्ल,गड़बड़ी का यह कारक
खतरनाक है
खूब , बड़ा ही है
संहारक
रखें नियंत्रित इसे , कभी ना बैठे सिर चढ़
समय चाक तो “अरुण”, सँवारे
मिट्टी अनगढ़ ||
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्टमेंट, विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (03-06-2013) के :चर्चा मंच 1264 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
ReplyDeleteसूचनार्थ |
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (03-06-2013) के :चर्चा मंच 1264 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
ReplyDeleteसूचनार्थ |
बहुत सुंदर रचना ,,,
ReplyDeleteरखें नियंत्रित इसे , कभी ना बैठे सिर चढ़
ReplyDeleteसमय चाक तो “अरुण”, सँवारे मिट्टी अनगढ़ ||
वाह वाह !!! बहुत खूब सुंदर रचना जनाब ,,, बधाई
recent post : ऐसी गजल गाता नही,
आपकी यह रचना कल सोमवार (03 -06-2013) को ब्लॉग प्रसारण के "विशेष रचना कोना" पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .
ReplyDeleteबहुत सुंदर कुण्डलिया आदरणीय अरुण कुमार निगम सर। हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteअक्ल ही तो सारी खुराफात की जड़ है ...बहुत सुंदर कुंडली
ReplyDeleteसार्थक कुंडलियाँ !
ReplyDeleteLATEST POSTअनुभूति : विविधा ३
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बेहतरीन कुण्डलियाँ ...
ReplyDeleteएकदम अलग अंदाज है आपके इन छंदों का.. मारक..भेदक..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक रचना...
ReplyDeleteलाजवाब है
ReplyDeleteप्राञ्जल प्रवाह-पूर्ण प्रशंसनीय प्रस्तुति ।
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