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Saturday, December 1, 2012

मेरी रत्ना को ऐसे तेवर दे



मुझको हे वीणावादिनी वर दे
कल्पनाओं  को  तू  नए पर दे |

अपनी  गज़लों  में  आरती गाऊँ
कंठ को  मेरे  तू   मधुर  स्वर दे |

झिनी झीनी चदरिया ओढ़ सकूँ
मेरी  झोली  में  ढाई  आखर  दे |

विष का प्याला पीऊँ तो नाच उठूँ
मेरे  पाँवों  को  ऐसी  झाँझर  दे |

सुनके अंतस् को मेरे ठेस लगे
मेरी  रत्ना  को   ऐसे  तेवर  दे |

सूर बन कर  चढ़ाऊँ नैन तुझे
इन  चिरागों  में  रोशनी भर दे |

(रत्ना = रत्नावली)

 
(ओबीओ लाइव तरही मुशायरा अंक-29 में शामिल मेरी प्रस्तुति)


अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (मध्यप्रदेश)

 
ओबीओ लाइव तरही मुशायरा अंक-29 में मेरी द्वितीय प्रस्तुति थी-
तू मुझे पिज्जा दे न बर्गर दे
इक कटोरी में थोड़ा चोकर दे |1|

ठंडे  रिश्तों  में  गर्मी आयेगी
अपने हाथों से बुनके स्वेटर दे |2|

वो है जन्मा सियासी कुन्बे में
उसके हाथों अभी से चौसर दे |3|

सिर्फ फिरकी से क्या भला होगा
कम से कम एक पेस बॉलर दे |4|

सर्प को भी गले लगा के रखूँ
ऐसा वरदान , भोले शंकर दे |5|

मेरी बस्ती के लोग हँसते रहें
मेरी हस्ती में एक जोकर दे |6|

मीन की आँख का ही अक्स दिखे
इस जमाने में वो स्वयम्वर दे |7|

कोई अर्जुन बुझाए प्यास मेरी
शर की नोकों का मुझे बिस्तर दे |8|

कब से धूँए में सिमटे बैठे हैं
इन चिरागों में रोशनी भर दे |9|
***************************
 
उपरोक्त तरही मुशायरे के अन्य शायरों की गज़लों पर मेरी टिप्पणियाँ

गम की मैं धूप सारी मांग रहा
उनके सर पे खुशी की चूनर दे  ||
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हौसलों से उड़ान होती है
मर्जी तेरी तू रेशमी पर दे ||
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रूह की शक्ल क्या औ' सूरत क्या
मांग सिंदूर से मगर भर दे ||
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साकिया रिंद का भला  कर दे
नैन मदिरा से जाम को भर दे ||

जेब में  नोट  हैं  हजारी  सब
फिर न कहना शराबी चिल्हर दे  ||

करके उपवास  देती  उम्र बढ़ा
बदले में मांगती है-लॉकर दे ||

चूहे बिल्ली का किस्सा खत्म न हो
जीते जी मुझको अधमरा कर दे ||
****************************
छलके इतना कि तरबतर कर दे
वर  मेरे  यार  को  हे  ईश्वर  दे ||
 
आँखें  मूंदूँ   सदा  सुनूँ  गज़लें
कंठ अम्बर के तू मधुर स्वर दे ||  

सच ही खाता है सच ही पीता है
इसकी राहों को फूलों से भर दे ||  
 
खुद को पाने की जब तमन्ना है
उसको भी सोचने का अवसर दे  ||

कुछ तो मीठा कहेंगे खा के कभी
इन बताशों में चाशनी भर दे   ||

अवनि अम्बर तुझे मिलेंगे 'अरुण'
प्यार के सिर्फ ढाई आखर दे 
**************************

दर्द  दे , जख्म  दे , भयंकर  दे
किंतु बचने का भी तो मंतर दे  ||


उसकी आँखों में झाँक कर पढ़ ले                                           
उनमें कुछ प्रश्न हैं,तू उत्तर दे  ||


थक गई उम्र कब,पता न चला
यूँ तरस खा के अब न झांझर दे  ||


ज़िंदगी बेहया हुई  है अरुण
आड़ परदे की अब निरंतर दे   ||


अब भरोसा रहा है दीये का
क्या पता जिंदगी का तम हर दे  ||


आजा तितली  तू चूम ले सौरभ
इस चमन में हजार रंग भर दे   ||


**************************
मुझको फिर से कोई जवाँ कर दे
अब भी उम्मीद है वो हाँ भर दे ||


कितना चलना मुझे अभी बाकी
तू दिखा मील का वो पत्थर दे ||


कितने फ्लॉवर की महक वीनस में
काश मुझको भी सिखा तेवर दे ||


जिसमें सीरत भी अपनी देख सकूँ
आइना ऐसा कोई लाकर दे ||


कहकशाँ आसमाँ की दौलत है
मेरे बिस्तर में थोड़े कंकर दे ||


जिस्म है रूह है मगर ढुलमुल
मेरी गज़लों को अस्थिपंजर दे ||


भँवरे तितली चमकते वो जुगनू
फिर से बस्ता मुझे सजा कर दे ||


फिर खड़ा हो न सके प्रश्न नया
इस जमाने को ऐसा उत्तर दे ||

*************************

ओबीओ से साभार

32 comments:

  1. जय माता दी बेहद उम्दा रचना
    अरुन शर्मा
    www.arunsblog.in

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    Replies
    1. तरुण अरुण पहुँचे जहाँ, वहाँ प्रखर आलोक
      एक शब्द भी आपका, हमको लगता श्लोक ||

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    2. झिनी झीनी चदरिया ओढ़ सकूँ
      मेरी झोली में ढाई आखर दे |.....वाह जय हो ....कबीर दास


      विष का प्याला पीऊँ तो नाच उठूँ
      मेरे पाँवों को ऐसी झाँझर दे |.........मीरा बाई


      सुनके अंतस् को मेरे ठेस लगे
      मेरी रत्ना को ऐसे तेवर दे |......तुलसीदास

      आदरणीय अरुण भाई हर शेर उम्दा है परन्तु बेहतरनी अंदाज के साथ आपने सुरदास मीरा और तुलसी दास को समाहित किया है

      तारीफे काबिल है

      हार्दिक बधाई

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    3. तू मुझे पिज्जा दे न बर्गर दे...........हिंदुस्तान की मानवीय पीड़ा
      इक कटोरी में थोड़ा चोकर दे |1|........जहाँ माताएं अपने जिगर के टुकड़े को ज़िंदा रखने के लिए चावल का माड़(पसिया)पिलाती है अत्यंत मार्मिक शेर है

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    4. ठंडे रिश्तों में गर्मी आयेगी
      अपने हाथों से बुनके स्वेटर दे |2|इस हाई टेक के ज़माने में पति पत्नी के बीच रिश्तों में दरार आ रही है भाई स्वेटर वाला प्रेम भी ये मुवा रेडीमेंट कंपनियों ने छीन लिया बहुत सुन्दर शेर है

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    5. वो है जन्मा सियासी कुन्बे में
      उसके हाथों अभी से चौसर दे |3|हा हा हा सियासिती बच्चा है सियासत तो करेगा ही

      सिर्फ फिरकी से क्या भला होगा
      कम से कम एक पेस बॉलर दे |4|धोनी से कहना होगा ...भाई समझ?

      सर्प को भी गले लगा के रखूँ
      ऐसा वरदान , भोले शंकर दे |5|बेहद उम्दा शेर है उम्दा खयालात

      मेरी बस्ती के लोग हँसते रहें
      मेरी हस्ती में एक जोकर दे |6| यहाँ भी खूब रही दुनिया को हंसाता रहूँ मेरी हस्ती को जोकर कर दे बेहेतरिन शेर

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  2. सुन्दर-शारद-वन्दना, मन का सुन्दर भाव ।

    ढाई आखर से हुआ, रविकर हृदय अघाव ।

    रविकर हृदय अघाव, पाव रत्ना की झिड़की ।

    मिले सूर को नयन, भक्ति की खोले खिड़की ।

    कथ्य-शिल्प समभाव, गेयता निर्मल अंतर ।

    मीरा तुलसी सूर, कबीरा गूँथे सुन्दर ।।

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    1. ढाई आखर से हुआ , सुंदर मधुर मिलाप
      कथ्य शिल्प समभाव से,सफल हो गया जाप
      सफल हो गया जाप ,मिला है फल श्रेयस्कर
      देती हैं वरदान , शारदा मैया हँसकर
      छंद बिखरते जहाँ पहुँचते रविकर भाई
      सिर्फ हृदय में लिये घूमते अक्षर ढाई ||

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    2. मीन की आँख का ही अक्स दिखे
      इस जमाने में वो स्वयम्वर दे |7|दुनिया को लक्ष्य ...तक पहुंचने की बढ़िया कामना पौराणिक संदर्भ का सुन्दर प्रयोग

      कोई अर्जुन बुझाए प्यास मेरी
      शर की नोकों का मुझे बिस्तर दे |8|वाह वाह क्या बात है लूट लिया आपने

      कब से धूँए में सिमटे बैठे हैं
      इन चिरागों में रोशनी भर दे |9|
      कई संदर्भो में सटीक बैठता शेर है यहाँ धुँवा बुरे से जुड़े अनेक अर्थ दे रहा है
      देशकाल के लिए उपर्युक्त है

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    3. आदरणीय अरुण भाई मैंने भी आपकी तरह गजल लिखने का प्रयास किया था परन्तु इसको लिखते समय तरन्नुम कव्वालिए अंदाज में बह गई आपकी इस पोस्ट पर सदर समर्पित कर रहा हूँ
      तपते हुवे जून को नवंबर दे
      मौसम बदल जाये वो मंजर दे

      उनकी बकरी ने लूट ली महफ़िल
      शेर गुस्से में है जरा खंजर दे

      नपाक जमीं पर कसाब बोते हैं
      कोख सूनी या फिर बंजर कर दे

      मंजर दिखा रहे हैं बारूदों का
      लग जाये गले ऐसा मंतर दे

      भ्रष्टआचार है या ये है दीमक
      इनको चट कर जाऊं वो जहर दे

      आदमी है यहाँ जमूरे की तरह
      हाथ जनाब के कोई बन्दर दे

      बेख़ौफ़ संसद में वो बैठे हैं
      बंद आँख की तौल उन्हें अंदर दे

      लबालब तेल फिर भी बुझा हुवा
      इन चिरागों को रोशनी भर दे

      लड़ रहे है लगा के मुँह से मुँह
      मसुर की दाल मुँह में मुगदर दे

      हर मोड़ लैला मजनूं दिखते हैं
      उदास भीड़ के हाथ कोई पत्थर दे

      देख दिल्ली का ना सिर फिर जाये
      अम्मा असरदार को असर कर दे

      ये जुबाँ बेजुबाँ हो जाती है
      इन तल्ख़ जुबाँ को कोई लंगर दे

      दौलते पंख लिए वो उड़ते हैं
      हवाओं इन गुरुरों के पर क़तर दे

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  3. आप की मांगी मुरादें पूरी हों ....बहुत सुंदर
    शुभकामनायें !

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    1. जन वरिष्ठ देते जहाँ,दिल से आशीर्वाद
      ईश्वर भी करते वहाँ , पूरी सभी मुराद ||

      आपकी शुभकामनाओं के लिए हृदय से आभार........

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  4. अनुपम भावों का संगम ... यह प्रस्‍तुति

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    1. सदा स्नेह मिलता रहे, बस इतनी सी चाह
      प्रोत्साहन की ज्योत से , मिलती जायें राह ||

      आभार ...

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  5. आपकी प्रार्थना कबूल हो .... सुंदर प्रस्तुति

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    1. बस यूँ ही सद्भावना,बनी रहे चिरकाल
      रखे विश्व को जोड़कर,अपना अंतर्जाल ||

      सादर............

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  6. बहुत ही सुन्दर एवं मार्मिक रचना

    माँ वीणावादिनी से मेरी भी विनती है;

    मेरे भी दिमाग में ज्ञान प्रवाह कर दे .....



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    1. प्रिय सूर्यकांत जी, ज्ञान का प्रवाह हो चुका है, भाई ब्रेक आप ही लगा रहे हैं. सुंदर चौपाइयाँ शुरु की थी, कम से कम अपना चालीसा तो पूरा करो, हम तो शतक की आस लगाये बैठे हैं.

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  7. बहुत सुन्दर व शुभ कमाना है अरुण जी ... जब मैंने अपनी डायरी में कविताएँ लिखना शुरू की थी तो कु ऐसी ही कामना के साथ कि थी...अगर इजाजत हो आपके साथ शेयर करना चाहूंगी..
    हे प्रभु
    सृजन का दो वरदान
    युग युग के गहन तिमिर को तोड़
    हो आलोकित मेरे प्राण
    वाणी में शक्ति
    अर्थ में मुक्ति
    भावों में गहन सागर अपार
    प्रभु , सृजन का दो वरदान

    कल्पना को मेरी पंख प्रदान कर
    दो अनंत विस्तृत उड़ान
    शब्दों के कल्प तरु से
    मैं पाऊं इच्छित वरदान
    प्रभु , सृजन का दो वरदान

    निश्छल भावों की मणियों से
    भर दो आज ये झोली खाली
    लौटे फिर वही भोला बचपन
    फिर अधरों पर मृदुल मुस्कान
    प्रभु , सृजन का दो वरदान

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    1. आदरेया, स्वागत है.
      वाणी में शक्ति,
      अर्थ में मुक्ति ....वाह !!!!!!!!!!!!क्या बात है
      शब्दों के कल्प तरु से
      मैं पाऊँ इच्छित वरदान

      आभार आपका , ऐसी श्रेष्ठ रचना को शेयर करने के लिये....

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  8. सुनके अंतस् को मेरे ठेस लगे
    मेरी रत्ना को ऐसे तेवर दे,,,,,भावों से परिपूर्ण सुंदर गजल,,बधाई अरुण जी,,,

    recent post : तड़प,,,

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    1. मिली बधाई आपकी, बहुत बहुत आभार
      ईश्वर से विनती करूँ,बना रहे यह प्यार ||

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  9. जिसे उठाया आपने , वो बन गया पहाड़
    रविकर जी फूले फले, सदा लिंक लिक्खाड़ ||

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  10. वाह...सुन्दर गज़ल....वो भी भक्तिरस में.

    सादर
    अनु

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    1. आपकी सराहना पाकर प्रयोग सफल हुआ. आभार |

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  11. आदरणीय, दीपावली के बाद भांजे का विवाह करनाल(हरियाणा) में सम्पन्न हुआ. लम्बी छुट्टी पर रहा, अत: काफी दिनों से नेट से दूर रहना पड़ा.अब मेरी ओर से भी शिकायत नहीं रहेगी.

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  12. वाह सर जी, बहुत बढियां भक्ति रस में गजल लिखें है...
    जवाबी टिप्पणियाँ भी कमाल की है...
    शुभकामनाएँ...
    :-)

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  13. क्या भक्ति है ! वो भी इतने खूबसूरत रूप में... :)
    प्रार्थना है....ईश्वर आपकी सारी इच्छाओं को पूरा कर दे...
    ~सादर!!!

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  14. झिनी झीनी चदरिया ओढ़ सकूँ
    मेरी झोली में ढाई आखर दे |
    भाई साहब झीनी (झीनि तो हो सकता है झिनी नहीं ,कृपया उच्चारण कर देखें मीटर में भी व्यवधान आयेगा ).


    बहुत बढ़िया तंज है .
    ***************************
    साकिया रिंद का भला कर दे
    नैन मदिरा से जाम को भर दे ||

    क्या बात है पीने वाले डूब जायेंगे नैनों में ....

    नैन कटोरे काल काजल तोरे (गोरे )
    मैं तो तन मन हार गया ,तेरे रूप का जादू गोरी बंजारे ने मार गया .

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  15. महफ़िल जमा दिया |
    सो'हबत असर किया ||
    आभार ओ बि ओ
    बढ़िया मजा दिया ||

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  16. प्रार्थना बहुत सुन्दर है और नीचे भी टिप्पणी में कुछ शेर बहुत बढ़िया लगे

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  17. sunder bhaav, lay taal se bhari rachnayen.

    shubhkamnayen

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