(कुंडलिया छंद)
तूफानों से खींच कर , कश्ती लायें तीर
धीर वीर हरदम हरें , भारत माँ की पीर
भारत माँ की पीर , शहादत को अपनाते
जान दाव पर लगा सभी की जान
बचाते
देश सुरक्षित सारा , वीर के बलिदानों से
कश्ती लायें तीर , खींच कर
तूफानों से.
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)
स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाये
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..
ReplyDeleteनमन ....जय हिंद
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteस्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
सादर
किनके नाम ??????????? याद भी कितनों के हैं ? भगत सिंह, सुखदेव , ..... की माँ और थीं और न भगत होना आसान है न उसकी माँ
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteजय हिंद!
बहुत खूबसूरत रचना………………स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteखूबसूरत प्रस्तुति.
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
swatantrta diwas pr hardik badhai ke sath apki es sundar prastuti pr sadar abhar nigam sahab.
ReplyDeleteदेशभक्ति की प्रेरणा देती बहुत अच्छी रचना।
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीयता से ओत प्रोत इस रचना के लिया हार्दिक बधाई
ReplyDeleteसात समंदर पार कर, नाव चली इंग्लैण्ड |
ReplyDeleteबलिदानों से बच सकी, टूटे दुश्मन हैण्ड |
टूटे दुश्मन हैण्ड, बैण्ड अब हमी बजाते |
कई बिदेशी ब्रांड, दौड़ कर अब अपनाते |
बड़े विदेशी बैंक, खुले खाते बेनामी |
ब्लैक मनी का ढेर, रखे हैं सत्ता स्वामी ||
आदरणीय रविकर जी आपने यहाँ जो गहरी बात कही है वो एकदम सत्य है
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह अरुण जी
ReplyDelete१५ अगस्त की बधाई ...
ReplyDeleteलाजवाब ... जबरदस्त ...
jai hind ............prerak prastuti
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