हमर भाखा ला खा डारिन….
लहू चुहकिन हमर तन के, हमर हाड़ा ला खा डारिन।
हमर जंगल हमर खेती, हमर नदिया ला खा डारिन।
हमीं मन मान के पहुना, उतारेन आरती जिनकर,
उही मन मूड़ मा चघ के, हमर भाषा ला खा डारिन।।
अरुण कुमार निगम