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Thursday, May 15, 2014

स्वागतम सोलह मई........


सोलह की महिमा में सोलह पंक्तियाँ ...............

सोलह -सोलह लिये गोटियाँ,खेल चुके शतरंजी चाल
सोलह - मई बताने वाली ,किसने कैसा किया कमाल

सोलह कला सुसज्जित कान्हा ने छेड़ी बंसी की तान
सबका जीवन सफल बनाने,सिखलाया गीता का ज्ञान

मानव जीवन में पावनता , मर्यादा के हैं आधार
ऋषियों मुनियों के बतलाये, जीवन में सोलह संस्कार

सोलह - सोमवार व्रत करके , पाओ मनचाहा भरतार
सोलह आने जब मिल जाते, तब लेता रुपिया आकार

उम्र शुरू हो सोलह की तो , आता अपने आप निखार
बीत गई तब जीवन भर के , साथी हैं सोलह श्रृंगार

सोलह चंद्र - कलायें होतीं, तब दुल्हन सी सजती रात
बरगद - पीपल हरदम कहते, सोलह आने सच्ची बात

सोलह - सोलह मात्राओं की, चौपाई मन खूब सुहाय
सोलह – सोलह वर्णों वाली,रूप – घनाक्षरी मन भाय

सोलह की महिमा को गाये,दुर्ग-नगर का अरुण कुमार
छंद आपके मन भाया तो, प्रकट कीजिये मित्र विचार ||




अरुण कुमार निगम

6 comments:

  1. सोलह की महिमा बता सोलह का किया खूब गुणगान,
    वाह ! बहुत सुंदर प्रस्तुति ...!

    RECENT POST आम बस तुम आम हो

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (16-05-2014) को "मित्र वही जो बने सहायक"(चर्चा मंच-1614) में अद्यतन लिंक पर भी है!
    --
    मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. परिणाम देख कर सोलह आना सार्थक लग रहा है चुनाव भी .
    और हाँ ,सारा क्वाँरी कन्याओं को यह बात नोट करा दी जाय 'सोलह - सोमवार व्रत करके , पाओ मनचाहा भरतार. '

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!

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  5. आज सोलह तो नहीं ... पर बधाई तो दे ही सकता हूँ १६ की १६ बार ..
    मज़ा आया इन १६ पंक्तियों का ...

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