*जलहरण घनाक्षरी*
(विधान - परस्पर तुकांतता लिए चार पद/ 8, 8, 8, 8 या 16, 16 वर्णों पर यति/ अंत में दो लघु अनिवार्य)
धूल धूसरित तन, केश राशि श्याम घन
बाल क्रीड़ा में मगन, अलमस्त हैं किसन।
छनन छनन छन, पग बजती पैजन
लिपट रही किरण, चूम रही है पवन।
काज तज देवगण, देख रहे जन-जन
पुलकित तन-मन, निर्निमेष से नयन।
काग एक उसी क्षण, देख के रोटी माखन
आया छीन भाग गया, उत्तर दिशा गगन।।
रचनाकार - अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर दुर्ग
छत्तीसगढ़
(विधान - परस्पर तुकांतता लिए चार पद/ 8, 8, 8, 8 या 16, 16 वर्णों पर यति/ अंत में दो लघु अनिवार्य)
धूल धूसरित तन, केश राशि श्याम घन
बाल क्रीड़ा में मगन, अलमस्त हैं किसन।
छनन छनन छन, पग बजती पैजन
लिपट रही किरण, चूम रही है पवन।
काज तज देवगण, देख रहे जन-जन
पुलकित तन-मन, निर्निमेष से नयन।
काग एक उसी क्षण, देख के रोटी माखन
आया छीन भाग गया, उत्तर दिशा गगन।।
रचनाकार - अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर दुर्ग
छत्तीसगढ़