(चित्र ओबीओ से साभार)
नहीं
बालिका जान मुझे
तू , मैं हूँ माता
का अवतार |
सात समुंदर हैं आँखों में , मेरी
मुट्ठी में संसार ||
मैंने
तुझको जन्म दिया
है , बहुत लुटाये हैं उपहार
|
वन उपवन फल
सुमन सुवासित, निर्मल नीर नदी की धार ||
स्वाद
भरे अन तिलहन
दलहन , सूखे मेवों का भंडार
|
हरी
- भरी सब्जी - तरकारी , जिनमें उर्जा भरी अपार
||
प्राणदायिनी
शुद्ध
हवा
से
, बाँधे हैं
श्वाँसों के तार |
तन -
तम्बूरा तब ही तेरा
, करता मधुर- मधुर झंकार
||
हाथी
घोड़े ऊँट दिये हैं , सदियों से तू हुआ सवार
|
मातृरूप
में गोधन पाया , जिसकी महिमा
अपरम्पार ||
वन -
औषधि की कमी नहीं है ,
अगर कभी तू हो बीमार |
सारे
साधन पास तिहारे
, कर लेना अपना उपचार ||
सूर्य
चंद्र नक्षत्र धरा सब , तुझसे करते लाड़-दुलार |
बादल
- बिजली धूप - छाँव ने, तुझ
पर खूब लुटाया प्यार ||
गर्मी
वर्षा और शीत ने , दी तुझको उप-ऋतुयें चार |
शरद
शिशिर हेमंत साथ
में , तूने पाई बसंत-बहार
||
सतयुग
त्रेता द्वापर तक थे , तेरे कितने उच्च विचार |
कलियुग
में क्यों फिर गई बुद्धि , आतुर
करने को संहार ||
नदियों
को दूषित कर डाला , कचरा मैला डाल हजार
|
इस पर
भी मन नहीं भरा तो,जल स्त्रोतों पर किया प्रहार ||
जहर
मिला कर खाद बनाई , बंजर हुये खेत और खार |
अपने हाथों बंद किये हैं
, अनपूर्णा के सारे
द्वार ||
धूल
- धुँआ सँग गैस विषैली , घुली
हवा में है भरमार
|
कैसे भला साँस ले प्राणी
, शुद्ध हवा ही प्राणाधार ||
वन काटे
भू - टुकड़े छाँटे , करता धरती का व्यापार
|
भूमिहीन अपनों को करता , तेरा कैसे हो
उद्धार ||
दूध
पिलाया जिन गायों ने , उनकी गरदन चली कटार |
रिश्ते
- नाते भूल गई सब , तेरे हाथों की तलवार
||
वन्य-जीव
की नस्ल मिटा दी,
खुद को समझ रहा अवतार |
मूक-जीव
की आहें कल
को , राख करेंगी बन अंगार ||
मौसम
चलता था अनुशासित, उस पर भी कर बैठा वार |
ऋतुयें
सारी बाँझ हो
गईं , रोती हैं
बेबस लाचार ||
हत्या
की कन्या - भ्रूणों की ,बेटी पर क्यों अत्याचार
|
अहंकार
के मद में भूला , बिन बेटी कैसा परिवार
||
अभी
वक़्त है, बदल इरादे ,
कर अपनी गलती स्वीकार |
पंच-तत्व
से क्षमा मांग ले , कर नव-जीवन का श्रृंगार ||
वरना पीढ़ी दर पीढ़ी तू
, कोसा जायेगा हर बार |
अर्पण
- तर्पण कौन करेगा , नहीं बचेगा जब संसार
||
आज तुझे समझाने
आई , करके सात
समुंदर पार |
फिर
मत कहना ना समझाया ,
बस
इतने मेरे उद्गार ||
अरुण
कुमार निगम
आदित्य
नगर , दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय
नगर , जबलपुर (म.प्र.)
[ओबीओ
द्वारा आयोजित " चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता " में सम्मिलित रचना]