Wednesday, November 16, 2016

किस करवट है बैठता, देखें अब के ऊँट

*दोहा छन्द*`

निर्णय के परिणाम से, हर कोई है स्तब्ध
सहनशीलता सर्वदा, जनता का प्रारब्ध ।

जनता ने पी ही लिया, फिर से कड़ुवा घूँट
किस करवट है बैठता, देखें अब के ऊँट ।

दूषित नीयत से अरुण, पनपा भ्रष्टाचार
आशान्वित होकर सदा, जनता बनी कतार ।

आकर कर दो राम जी, दुराचार को नष्ट
राम राज की आस में, जनता सहती कष्ट ।

विस्फारित आँखें लिए, ताक रहा आतंक
हर कोई जनता बना, क्या राजा क्या रंक ।

अरुण कुमार निगम

4 comments:

  1. अरुण जी, सभी दोहे बढिया लगे। भ्रष्टाचार मिटेगा इसी आशा में जनता इतने कष्ट सह रही है।

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  2. वाह वाह मस्त और सामयिक दोहे हैं ... आज तो सच में क्या राजा क्या रंक ......

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